नई दिल्ली। अभी तक तो झूठ पकडऩे के लिए पोलीग्राफ मशीन का सहारा लिया जाता है लेकिन जल्द ही यह काम भी सॉफ्टवेयर की मदद से आसान होने वाला है। यह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर है जिसकी मदद से झूठ पकडऩे के लिए किसी खास मशीन का इस्तेमाल भी गुजरे जमाने की बात लगेगी।
उच्च अदालती मामलों के वीडियो का अध्ययन करके मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रियल वर्ल्ड डाटा पर आधारित लाइ-डीटेक्टिंग (झूठ का पता लगाने वाले) साफ्टवेयर का प्रोटोटाइप बनाया है।
यह प्रोटोटाइप साफ्टवेयर पालीग्राफ मशीन की तरह शब्दों और जेस्चर को समझता है और इस काम के लिए इसे व्यक्ति को टच करने की जरूरत भी नहीं पड़ती। यह प्रयोग 75 प्रतिशत तक सही रहा है। इसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा के स्कोर (अंक) के साथ साफ्टवेयर पहचानता है कि कौन कपटी (झूठ बोलने वाला) है।
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि इस सॉफ्टवेयर से उन्होंने बहुत से झूठ बोलने वालों को पकड़ा है। इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने के लिए टीम ने 120 मीडिया कवरेज वीडियो क्लिप का इस्तेमाल कर सॉफ्टवेयर को प्रशिक्षित किया है।