ट्रैंस पैसिफिक पार्टनरशिप के तहत पूरी दुनिया की 40 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कवर होगी, टीपीपी डील से अमरीका को होगा दोहरा लाभ: ओबामा
वॉशिंगटन। 12 देशों ने ट्रैंस-पसिफिक पार्टनरशिप के तहत दुनिया की सबसे बड़ी मल्टीनैशनल ट्रेड डील्स पर दस्तखत कर दिए। न्यूजीलैंड में इन सभी देशों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को डील पर दस्तखत तो कर दिया, लेकिन इसे जमीं पर उतरने से पहले अभी कुछ और सालों तक कठिन समझौतों से होकर गुजरना होगा। गौरतलब है कि इस समझौते के लिए पिछले 5 सालों से प्रयास किए जा रहे थे।
क्या है ट्रैंस पैसिफिक पार्टनरशिप?
ट्रैंस पैसिफिक पार्टनरशिप के तहत पूरी दुनिया की 40 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कवर होगी। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की ने ऑकलैंड में आयोजित समारोह में कहा, “डील पर दस्तखत एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह अग्रीमेंट अब भी कागज का टुकड़ा भर है जब तक कि यह वास्तविक रूप से लागू नहीं हो जाए।”
कौन से देश हैं शामिल?
जो देश टीपीपी में शामिल हैं, उनके नाम हैं- ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चीली, जापान, मलयेशिया, मेक्सिको, न्यू जीलैंड, पेरू, सिंगापुर, अमेरिका और वियतनाम। टीपीपी में विभिन्न मोर्चों पर अगले दो सालों तक सुधार कार्य चलते रहेंगे। टीपीपी को लागू करने के लिए इसमें शामिल 12 में से उन छह देशों को डील के फाइनल टेक्स्ट को हरी झंडी देनी होगी, जिनकी जीडीपी सभी 12 देशों के 85 प्रतिशत के बराबर बैठती है।
टीपीपी डील से अमरीका को होगा दोहरा लाभ: ओबामा
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि, “फिलहाल, वैश्विक व्यापार के नियम हमारे मूल्यों को अक्सर दरकिनार करते हैं और हमारे श्रम बल तथा कंपनियों को नुकसान होता है। टीपीपी से वह बदल जाएगा। इससे अमेरिका में बने उत्पादों पर विभिन्न देशों में लगने वाले 18,000 से अधिक टैक्स खत्म हो जाएंगे।”