देश में नकली उत्पादों का कारोबार पिछले चार वर्ष में 125 प्रतिशत बढ़कर 58,780 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। गैर-सरकारी संस्था ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशंस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (एएसपीए) के अध्यक्ष यू.के. गुप्ता ने बताया कि वित्त वर्ष 2011-12 में देश में नकली उत्पादों का बाजार 26,190 करोड़ रुपये का रहा था। दो साल में वित्त वर्ष 2013-14 तक यह 49.8 प्रतिशत बढ़कर 39,239 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
नई दिल्ली. देश में नकली उत्पादों का कारोबार पिछले चार वर्ष में 125 प्रतिशत बढ़कर 58,780 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। गैर-सरकारी संस्था ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशंस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (एएसपीए) के अध्यक्ष यू.के. गुप्ता ने बताया कि वित्त वर्ष 2011-12 में देश में नकली उत्पादों का बाजार 26,190 करोड़ रुपये का रहा था। दो साल में वित्त वर्ष 2013-14 तक यह 49.8 प्रतिशत बढ़कर 39,239 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 तक इसके 58 हजार करोड़ रुपये के पार कर जाने का अनुमान है, हालांकि अभी नये आंकड़े नहीं आये हैं। गुप्ता ने बताया कि सबसे ज्यादा नकली उत्पाद और ब्रांड का बाजार दवाओं का है। हालांकि, सरकार कहती है कि नकली दवाओं का कारोबार सिर्फ दो प्रतिशत का है, लेकिन कंपनियों की मानें तो यह कारोबार 15 से 20 प्रतिशत का है।
उन्होंने कहा कि नकली एवं मिलावटी उत्पादों पर लगाम लगाने के उपायों पर चर्चा के लिए पहली बार फरवरी में इंटरनेशनल ऑथेंटिकेशन कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इसका आयोजन 08 और 09 फरवरी को नई दिल्ली में होगा। उन्होने कहा कि सम्मेलन में छह सेक्टरों में नकली उत्पादों के कारोबार और उसके दुष्प्रभावों पर चर्चा की जायेगी। इसमें वैश्विक एवं घरेलू उद्योग जगत के साथ ही शेयरधारकों और नीति नियामकों को एक मंच पर लाया जायेगा। हमारा उद्देश्य आईपीआर उल्लंघन के मुद्दों और जालसाजी के द्वारा बनाई गई समस्याओं के बारे में सरकार, आम जनता और प्रदर्शकों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
गुप्ता ने कहा कि आज जालसाजी तथा नकली उत्पादों का कई अरब डॉलर का कारोबार है और इसे 21वीं सदी के अपराध के रूप में जाना जाता है। यहां तक कि आतंकवाद और जालसाजी के बीच स्थापित कड़ी अब खुल रही है। भारत में भी यह लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि नकली उत्पादों के मामले में जिस क्षेत्र की सबसे कम चर्चा होती है वह है कृषि क्षेत्र। मिलावटी तथा नकली ब्रांड वाले बीजों और उर्वरकों का काफी बड़ा कारोबार है, लेकिन उसकी तरफ सरकार या निजी कंपनियों का ध्यान नहीं जाता, क्योंकि किसानों की बात रखने वाला कोई यूनियन या कोई ऐसी संस्था नहीं है। उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर नकली उत्पादों का कारोबार तीन प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रहा है। भारत की तरह ही वैश्विक मंच पर भी सबसे ज्यादा नकली उत्पाद फार्मा क्षेत्र में मौजूद हैं। वहीं, पैकेज्ड तथा ब्रांडेड खाद्य पदार्थ चौथे नंबर पर हैं।