2015 की पहली छमाही के मुकाबले 2016 की पहली छमाही में ऑफिस स्पेस की लीजिंग 6 फीसदी बढ़ी
नई दिल्ली। सरकार की मेक इन इंडिया पहल और सुधरते आर्थिक माहौल ने घरेलू व विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों को अपने कारोबार विस्तार के लिए प्रेरित किया है। इसके चलते ऑफिस स्पेस की मांग काफी तेजी से बढ़ी है। प्रॉपर्टी कंसल्टिंग फर्म सीबीआरई की रिपोर्ट के अनुसार 2016 की दूसरी तिमही (अप्रैल से जून) में 1 करोड़ 2 लाख वर्ग फीट ऑफिस स्पेस की लीजिंग हुई, जो पिछली तिमाही (जनवरी से मार्च) के मुकाबले 46 फीसदी यादा है।
दिल्ली-एनसीआर में जबरदस्त मांग
दूसरी तिमाही में हुई कुल ऑफिस स्पेस की लीजिंग में दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु का योगदान करीब 50 फीसदी रहा है। इस दौरान 70 लाख वर्ग फुट फ्रेश ऑफिस स्पेस की सप्लाई हुई। कुल सप्लाई का 65 फीसदी हैदराबाद और मुंबई में हुई।
सालाना आधार पर बढ़ी लीजिंग
2015 की पहली छमाही के मुकाबले 2016 की पहली छमाही में ऑफिस स्पेस की लीजिंग 6 फीसदी बढ़ी। देश के प्रमुख रियल एस्टेट मार्केट में पिछले साल की पहली छमाही में 1 करोड 60 लाख वर्ग फीट ऑफिस स्पेस की लीजिंग हुई थी, जो 2016 की पहली छमाही में बढ़कर 1 करोड़ 70 लाख पहुंच गई।
आईटी/आइटीएस सेक्टर टॉप पर
ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका आईटी और आईटीएस सेक्टर का रहा है। दूसरी तिमाही में हुए कुल ऑफिस स्पेस की लीजिंग में इन दोनों सेक्टर का योगदान 50 फीसदी रहा। इसके आद इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, बैंकिंग और ई-कॉमर्स सेक्टर का रहा। एक्सपर्ट ओपिनियन दक्षिण एशिया सीबीआरई के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अंशुमान मैगजीन ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बावजूद भारत कॉर्पोरेट फर्म के लिए पसंंदीदा स्थान बना हुआ है। हाल के दिनों में सरकार द्वारा पॉलिसी में किए गए बदलाव और अर्थव्यवस्था में मजबूत संकेतों से निवेशकों को रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करने को आकर्षित किया है।
किराये में बढ़ोतरी
ऑफिस स्पेस की मांग बढऩे से किराये में बढ़ोतरी हुई है। पिछली तिमाही के मुकाबले बेंगलुरु, चेन्नई और पुणे में किराये में 2 से 6 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं, कोलकाता में 4 से 6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में रिकॉर्ड लीजिंग के बाद की किराये में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।