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एप्पल पर अब तक की सबसे बड़ी टैक्स पेनल्टी,13 अरब यूरो का नोटिस

Published: Aug 31, 2016 09:14:00 am

यूरोपियन यूनियन ने एप्पल को करीब 96 हजार करोड़ रुपए टैक्स अदा करने का आदेश दिया है

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नई दिल्ली। यूरोपियन यूनियन ने एप्पल को 13 अरब यूरो यानी कि करीब 96 हजार करोड़ रुपए टैक्स अदा करने का आदेश दिया है। ईयू के कंपीटिशन कमिश्नर के मुताबिक आयरलैंड ने एप्पल को कई सालों तक अवैध तरीके से टैक्स लाभ दिया है। कहा जा रह है कि इसे पेनल्टी नहीं, बल्कि टैक्स रीपेमेंट माना जाए, लेकिन इस रिकॉर्ड जुर्माने के फैसले के बाद एप्पल के अलावा अमरीका और आयरलैंड सरकार भी हरकत में आ गई। ये सभी फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।

एप्पल ने 30 साल पहले आयरिश शहर कॉर्क में अपना बेस बनाया था। वहां उसके 60 कर्मचारी थे। कंपनी का दावा है कि आज पूरे आयरलैंड में उसके 6000 एम्पलॉईज हैं। आयरलैंड में कंपनी चलाने पर प्रॉफिट का 12.5 प्रतिशत हिस्सा कॉर्पोरेशन टैक्स के रूप में देना होता है। एप्पल ने आयरलैंड गवर्नमेंट से डील के बाद टैक्स रेट और कम करवा लिया। यूके में कंपनी चलाने पर प्रॉफिट का 20 प्रतिशत और यूएस में तो 38.9 प्रतिशत टैक्स देना होता है।

ईयू के कंपीटिशन कमीशन ने एप्पल पर टैक्स पेनल्टी लगाई है। इसके लिए तीन साल की जांच की गई। आयरलैंड सरकार मल्टीनेशनल कंपनियों को अट्रैक्ट करने के लिए फेवरेबल टैक्स कंडीशंस ऑफर करती रही है जिन्हें स्वीटहार्ट डील्स कहा जाता है। कमीशन का कहना है कि एप्पल का आयरलैंड में हेड ऑफिस सिर्फ कागजों पर है। यहां न ज्यादा इम्प्लॉई हैं और न ही कोई एक्टिविटी होती है। इसके बावजूद कंपनी ने फायदा उठाया। कमिश्नर मार्गरेट वेस्टएजर ने अपने फैसले में कहा, एप्पल और अायरलैंड की टैक्स अथॉरिटीज ने 1991 और 2007 में दो बार ईयू के नियमों को तोड़ा। दोनों के बीच डील ऐसे हुई कि एप्पल ने यूरोप में अपनी सारी सेल्स को आयरलैंड से चैनलाइज किया। इसका कंपनी को यह फायदा मिला कि 2003 में यूरोप में कमाए प्रॉफिट पर उसे जो 1% टैक्स लगता था वह 2014 में घटकर 0.005% रह गया। यही अल्ट्रा लो टैक्स है। अब एप्पल को 2003 से 2014 तक के टैक्स का रीपेमेंट करना होगा। कमिश्नर वेस्टएजर ने आयरलैंड सरकार से कहा है कि वह टैक्स को कैलकुलेट करे और इंट्रेस्ट के साथ रिकवरी करे।

मार्केट में अभी एप्पल का वैल्यूएशन 570 अरब डॉलर है। एप्पल के पास 230 अरब डॉलर से ज्यादा का कैश है। इसमें से 90% कैश अमेरिका से बाहर है। लिहाजा, यह कहा जा रहा है कि ईयू के आदेश से एप्पल के फाइनेंसेस या रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर उसके खर्च पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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