scriptविप्रो पर भेदभाव का आरोप लगाने वाली श्रेया ने जीता मुकदमा | Ex Wipro employee Shreya Ukil wins sex discrimination case in UK tribunal | Patrika News

विप्रो पर भेदभाव का आरोप लगाने वाली श्रेया ने जीता मुकदमा

Published: May 05, 2016 09:11:00 am

ट्रिब्यूनल अगले माह हर्जाने की रकम तय करेगा, श्रेया ने कंपनी पर लैंगिक भेदभाव और असमान वेतन का आरोप लगाया था

Shreya Wipro

Shreya Wipro

लंदन। आईटी कंपनी विप्रो पर भेदभाव करने का आरोप लगाने वाली श्रेया वकील नाम की महिला ने लंदन में यह मुकदमा जीत लिया है। उन्होंने कंपनी पर अनुचित तरीके से नौकरी से निकालने के भी आरोप लगाए थे। आरोप के मुताबिक सीईओ समेत शीर्ष स्तर के कई अधिकारियों ने षड्यंत्र रचकर नौकरी से निकाला।

मामले की सुनवाई कर रहे ट्रिब्यूनल ने भी कहा कि श्रेया के खिलाफ आदेश शीर्ष स्तर से आया था। उन्हें कंपनी में लैंगिक भेदभाव और असमान वेतन के खिलाफ बोलने की सजा मिली। ट्रिब्यूनल अगले माह हर्जाने की रकम तय करेगा। उधर विप्रो ने एक बयान में कहा कि ट्रिब्यूनल ने शिकायतकर्ता को कंपनी से निकालने के फैसले को सही ठहराया है। कंपनी में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के आरोपों को भी खारिज किया गया।

गौरतलब है कि श्रेया ने करीब 10 साल तक विप्रो में काम किया था। उन्हें कंपनी की तरफ से कई परफॉर्मेंस अवॉर्ड भी मिले थे। उन्होंने वर्ष 2012 में भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया। आरोप के मुताबिक सहकर्मी उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी भी करते थे। ट्रिब्यूनल के मुताबिक श्रेया की शिकायत दूर करने के बजाए उनके खिलाफ कई फैसले लिए गए।

मैनेजमेंट से परेशान होकर श्रेया ने कंपनी के चेयरमैन अजीम प्रेमजी तक अपनी बात पहुंचाई। प्रेमजी ने उन्हें निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया, लेकिन कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सुनीता चेरियन ने जांच में आरोपों को खारिज कर दिया। आखिरकार श्रेया ने सितंबर 2014 में प्रेमजी को अपने इस्तीफे का ईमेल भेज दिया। कंपनी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया तो वे सिकलीव पर चली गईं। चार दिन बाद उन्हें निकाल दिया गया।

ट्रिब्यूनल ने माना वेतन पॉलिसी भेदभाव करने वाली


श्रेया का आरोप यह भी ािा कि समान काम के लिए उन्हें पुरुष सहकर्मियों की तुलना में कम पैसे मिलते थे। कंपनी ने जवाब में कहा कि वेतन तय करते वक्त कर्मचारी कहां का रहने वाला है, स्त्री है या पुरुष, शादीशुदा है या नहीं, इन सब बातों पर भी गौर किया जाता है। ट्रिब्यूनल ने कंपन की इस पॉलिसी को महिलाओं के साथ भेदभाव वाला करार दिया।
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