यह खुलासा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लगाई गई मिस्त्री की याचिका से हुआ है। मिस्त्री परिवार के पास टाटा ग्रुप में 18.5 फीसदी हिस्सेदारी है…
नई दिल्ली. टाटा संस के चेयरमैन पद से बर्खास्त करने से पहले सायरस मिस्त्री को रतन टाटा ने बतौर नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बोर्ड में बने रहने का ऑफर दिया था। यह खुलासा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लगाई गई मिस्त्री की याचिका से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 24 अक्टूबर की बोर्ड मीटिंग में डायरेक्टर इशात हुसैन के एक सवाल के जवाब में मिस्त्री ने कहा था कि ग्रुप की अन्य कंपनियों के चेयरमैन पद पर बने रहने के संबंध में वे विचार कर अपना फैसला बोर्ड को बताएंगे।
छोटे शेयर होल्डर्स की अनदेखी का आरोप
सूत्रों के मुताबिक, पूरे घटनाक्रम में सायरस मिस्त्री खुद को बोर्ड में डिमोट (पदावनत) करने को कहा गया था। विभिन्न कारणों से मिस्त्री पर टाटा संस के घटते भरोसे को इसकी वजह बताया गया था। याचिका में मिस्त्री ने टाटा संस, इसके बोर्ड और अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा पर छोटे शेयर होल्डर्स के लाभ की अनदेखी करने का आरोप लगाया। मिस्त्री परिवार के पास टाटा ग्रुप में 18.5 फीसदी हिस्सेदारी है।
बोर्ड में रहने का फैसला मिस्त्री का विशेषाधिकार
‘रतन टाटा ने इस बात का जिक्र किया है कि उन्हें चार सालों में ग्रुप की बेहतरी के लिए मिस्त्री द्वारा किए गए कामों को देखने की जरूरत है।’ याचिका के मुताबिक, रतन टाटा ने कहा था कि बोर्ड में बने पर निर्णय करना मिस्त्री का विशेषाधिकार है।