इन फॉर्मूलों से धोनी बने भारत के सफलतम कप्तान
कप्तान के तौर पर धोनी ने 9 साल भारतीय टीम को अपनी
सेवाएं दी हैं और उम्मीद है कि एक खिलाड़ी के तौर पर उनका प्रदर्शन आगे जारी
रहेगा। आज हम आपको बता रहे हैं कि धोनी की सफलता के मूल मंत्र आखिर क्या
रहे जिनके कारण आज उन्होंने बुलन्दियों को छुआ है..
•Jan 05, 2017 / 12:26 pm•
राहुल
भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने एकदिवसीय और टी 20 मैच की कप्तानी को छोड़ कर अपने फैंस को जोर का झटका दिया है। माना यह जा रहा है कि अब माही अपने क्रिकेट करियर को और लंबा ले जाना चाहते हैं, जिस कारण उन्होंने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया है। एक्सपर्ट्स की राय है कि अब धोनी अपनी बल्लेबाजी और विकेट कीपिंग पर ज्यादा धयान लगा सकेंगे। वहीं पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों ने धोनी के इस फैसले की सराहना की है।
कप्तान के तौर पर धोनी ने 9 साल भारतीय टीम को अपनी सेवाएं दी हैं और उम्मीद है कि एक खिलाड़ी के तौर पर उनका प्रदर्शन आगे जारी रहेगा। आज हम आपको बता रहे हैं कि धोनी की सफलता के मूल मंत्र आखिर क्या रहे जिनके कारण आज उन्होंने बुलन्दियों को छुआ है। पहले एक नजर धोनी के एकदिवसीय और टी20 मैचों के प्रदर्शन पर…
बतौर कप्तान धोनी का व्यक्तिगत प्रदर्शन
एकदिवसीय
199 मैच रन 6,633 औसत 54 शतक 6 अर्धशतक 47
टी20
मैच 73 औसत 36 रन 1112 धोनी की कप्तानी में टीम का प्रदर्शन
199 एकदिवसीय मैचों में कप्तानी
जीत- 110
हार- 74
टी20 मैचों में कप्तानी
72 मैच
जीत- 41
हार- 28
बेमिसाल कप्तान “माही”
धोनी की कप्तानी में भारत ने जीता 2007 टी ट्वेंटी विश्वकप, 2011 वनडे विश्वकप, 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी
बतौर विकेट कीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी का अब तक का प्रदर्शन
एकदिवसीय-
मैच- 283 रन- 9110 सर्वश्रेष्ठ – 183* औसत 50.89 शतक- 9 अर्धशतक- 61
टेस्ट-
मैच- 90 रन- 4876 सर्वश्रेष्ठ – 224 औसत 38.09 शतक- 6 अर्धशतक- 33
टी20-
मैच- 73 रन- 1112 सर्वश्रेष्ठ – 48* औसत 35.87
कैप्टन कूल के नाम से मशहूर धोनी की सफलता के फॉर्मूले?
आक्रामक कप्तानी-
कप्तान के तौर पर धोनी आक्रामक फैसले लेने से नहीं चुके, जब स्पिनर गेंद डाल रहे होते हैं तो स्लिप के अलावा सिली प्वाइंट और सिली मिडऑफ पर अकसर फील्डर तैनात रहते हैं। बल्लेबाज़ी के दौरान भी वो खुद तेज़ी से रन जोड़ते हैं और आक्रामक बल्लेबाज़ी पर जोर देते हैं।
कप्तान के तौर पर खुद अपना प्रदर्शन बढ़िया-
कप्तान रहते हुए बड़े मैचों में धोनी का बल्ला खूब बोला। चाहे वो एकदिवसीय क्रिकेट का वर्ल्ड कप फाइनल रहा हो या फिर चेन्नई टेस्ट में उनका दोहरा शतक, धोनी ने न सिर्फ बड़ी पारियां खेली हैं बल्कि रन भी खूब तेज़ी से बनाए हैं।
युवाओं को बढ़ावा- कप्तान रहते हुए धोनी ने हमेशा युवा खिलाड़ियों पर भरोसा कर उन्हें टीम में जगह दी. धोनी जानते हैं कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य युवाओं में है और कप्तान के तौर पर ये उनकी रणनीति में भी दिखा। चाहे वो प्सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा हो या रवि अश्विन, धोनी ने युवा खिलाड़ियों पर पूरा भरोसा जताया है और उन्हें मौका भी खूब दिया है। धोनी ने सुनिश्चित कराया है कि युवा खिलाड़ी अपना पूरा दम दिखाए।
न ज़्यादा खुशी न ज़्यादा ग़म-
धोनी को कैप्टन कूल कहा जाता है क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में भी उनके चेहरे पर भाव पढ़े नहीं जा सकते हैं। जब भारत ने उनकी कप्तानी में विश्व कप जीता था तब भी उनके चेहरे पर खुशी की अतिरेक नहीं देखी जा सकती थी। वहीं जब उनकी टीम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में हार रही थी तब भी धोनी बहुत विचलित नहीं लग रहे थे। क्रिकेट आलोचक मानते हैं कि उनकी यही विशेषता टीम को बुरे समय में भी संघर्ष करते रहने की प्रेरणा देती है।
हमेशा लिए कड़े फैसले-
कप्तान रहते हुए टीम के हित में धोनी कड़े फैसले लेने से कभी नहीं घबराये। टीम के चयन में वो प्रदर्शन पर नज़र रखते थे और ये लिहाज़ नहीं रखते थे कि जिस खिलाड़ी को टीम से हटाया जा रहा है वो कितना बड़ा खिलाड़ी है। जैसे सहवाग को वनडे टीम से हटाना, या फिर गंभीर को टेस्ट टीम में जगह न देना ये ऐसे चयन के फैसले थे जिन्हें लेने के लिए कप्तान को सख्त होना ज़रूरी है। वहीं अश्विन औऱ जडेजा जैसे खिलाड़ियों को लगातार चुनने में भी वो चयन बैठकों में आवाज़ उठाते रहे।
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