बीसीसीआई सुधर जाए, वर्ना सुधार देंगे : सुप्रीम कोर्ट
Published: Sep 28, 2016 11:06:00 pm
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई निर्देशों का पालन नहीं कर व्यवस्था की बदनामी कर रहा है
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा लोढ़ा समिति की सुधारों से संबंधित सिफारिशों की अनदेखी किए जाने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में बुधवार को बोर्ड से कहा कि या तो वह स्वयं सुधर जाए या उसे सुधार दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति ने मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष स्थिति रिपोर्ट पेश करके बीसीसीआई द्वारा उसकी सिफारिशों की अनदेखी किए जाने की शिकायत की।
समिति ने कोर्ट के आदेश को न मानने के लिए बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर एवं सचिव अजय शिर्के सहित सभी शीर्ष पदाधिकारियों को पद से हटाने का अनुरोध भी किया है। लोढ़ा समिति ने कहा कि बीसीसीआई और उसके अधिकारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं और बार-बार बयान जारी कर कोर्ट के और समिति के अधिकार को कमतर आंक रहे हैं, जिसने बीसीसीआई में ढांचागत सुधारों की सिफारिश की थी।
समिति ने दलील दी कि बोर्ड अपने कामकाज में सुधार के लिए न तो उसकी सिफारिशें मान रहा है, न ही शीर्ष अदालत के आदेश का सम्मान कर रहा है। समिति के वकील ने कहा कि बीसीसीआई ईमेल और अन्य संवादों का जवाब नहीं दे रहा है तथा लगातार कोर्ट के आदेश का निरादर कर रहा है। इस पर न्यायमूर्ति ठाकुर ने प्रस्तुतियों का संज्ञान लेते हुए कहा कि ये गंभीर आरोप हैं और बीसीसीआई को कोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा।
पीठ ने कहा कि अगर बीसीसीआई खुद को कानून से ऊपर मानता है तो यह उसकी गलतफहमी है। पीठ ने कहा, आप (बीसीसीआई) भगवान की तरह व्यवहार कर रहे हैं। आदेश का पालन करो, वर्ना हम तुम्हें आदेश का पालन करवाएंगे।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई निर्देशों का पालन नहीं कर व्यवस्था की बदनामी कर रहा है। बीसीसीआई की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातर ने दलील दी कि बोर्ड ने अधिकतर निर्देशों का पालन किया है और धीरे-धीरे बाकी का पालन भी किया जाएगा। इस पर पीठ ने कहा, कानून की अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। घटनाक्रमों को देखकर हम खुश नहीं हैं। हमें बीसीसीआई से इस रवैये की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। आपको कोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा।
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार ने भी शीर्ष अदालत का रुख किया और कहा कि कोर्ट के समक्ष लंबित समीक्षा याचिका को तत्काल रूप से लिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल न करने पर बीसीसीआई को छह अक्टूबर तक जवाब देने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई हर कदम पर सुधार में अड़ंगा लगा रहा है और कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना कर रहा है।
बीसीसीआई द्वारा चयन समिति के गठन में भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय चयन समिति बनाने को कहा था जिसके सभी सदस्यों को टेस्ट क्रिकेट खेलने का अनुभव हो, लेकिन बीसीसीआई ने पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज एमएसके प्रसाद की अगुआई में पांच सदस्यीय चयन समिति की घोषणा की, जिसके दो सदस्य ऐसे हैं जिन्हें टेस्ट मैच खेलने का अनुभव नहीं है।