script10 साल पहले टीम को बनाया वर्ल्ड चैंपियन, आज बेच रहा कचौरियां | Former captain of deaf mute Indian cricket team sells Kachoris for earning | Patrika News

10 साल पहले टीम को बनाया वर्ल्ड चैंपियन, आज बेच रहा कचौरियां

Published: Nov 28, 2015 12:00:00 pm

2005 के वर्ल्ड कप में उन्होंने नेपाल के खिलाफ 70, न्यूजीलैण्ड के खिलाफ 60 और फिर सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 62 रन की मैच जीताऊ पारी खेली

imran sheikh

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वडोदरा।10 साल पहले उनकी महत्वपूर्ण फिफ्टी के बूते भारत ने मूक बधिर वर्ल्ड कप अपने नाम किया था। अपने ऑलराउंड प्रदर्शन की बदौलत तीन साल पहले वे भारतीय टीम के कप्तान बनाए गए थे लेकिन 30 साल के इमरान शेख को जिंदगी ने ऐसी गुगली डाली कि आज वे सड़क किनारे कचोरी बेचने को मजबूर है। आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इमरान ने एक सप्ताह पहले ओल्ड पेड्रा रोड पर मूंग कचोरी का ढेला लगाना शुरु किया।

एक अंग्रेजी अखबार को उन्होंने इशारों की भाषा में बताया कि क्रिकेट मेरा जूनून है और मैं खेलना चाहता हूं लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण परिवार को कोई मदद नहीं मिल रही। मूक बधिर टूर्नामेंट में खेलने से मुझे ज्यादा पैसा नहीं मिलता। इसलिए मैंने अपनी पत्नी रोजा की मदद से कचोरी की स्टाल लगाई है ताकि एक्सट्रा कमाई हो सके। मेेरे कोच नितेन्द्र सिंह की मदद से मुझे गुजरात रिफाइनरी में भी जॉब मिल गई।

छह फीट लंबे इमरान ने 15 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरु किया। मैं टीवी पर मैच देखा करता था और बाद में भूटादिजाम्पा मैदान में खेलने लगा। लेकिन मेरे कोच नितेन्द्र सिंह ने ऊपरी लेवल के क्रिकेट के लिए तैयार किया। मुझे गुजरात टीम में जगह मिल गई और इसके बाद राष्ट्रीय टीम में जगह मिली। 2005 के वर्ल्ड कप में उन्होंने नेपाल के खिलाफ 70, न्यूजीलैण्ड के खिलाफ 60 और फिर सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 62 रन की मैच जीताऊ पारी खेली। इंग्लैण्ड के खिलाफ फाइनल में उन्होंने 40 रन बनाने के साथ ही तीन विकेट लिए और भारत को विजयी बनाया।

इसी साल अप्रेल में उन्होंने एशिया कप टी20 टूर्नामेंट में भारतीय मूक बधिर टीम की कप्तानी की। उनके कोच नितेन्द्र बताते हैं कि इमरान क्रिकेट छोडऩा चाहता है। यह दुर्भाग्य की बात होगी अगर वह ऐसा करता है। इमरान की पत्नी बताती है कि हमने हाल ही में हमारा पारिवारिक घर छोड़ा है। बड़़ौदा के लोग काफी मददगार हैं और हमारी स्टॉल के बाहर भीड़ रहती है। हमें खुशी होगी अगर सरकार हमें स्टॉल के स्थाई जगह मुहैया करा दे।
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