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राजस्थान को रणजी चैंपियन बनाने वाले कानिटकर ने लिया संन्यास

Published: Jul 03, 2015 12:35:00 pm

भारत की ओर से 2 टेस्ट मैच व 34 अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच खेलने वाले कानिटकर ने भविष्य में कोच के तौर पर काम करने की इच्छा जताई

hrishikesh kanitkar

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मुम्बई। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और राजस्थान टीम को अपनी कप्तानी में लगातार दो बार रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाने वाले ऋषिकेश कानिटकर ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया है। भारत की ओर से 2 टेस्ट मैच व 34 अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच खेले कानिटकर ने भविष्य में कोच के तौर पर काम करने की इच्छा जताई है। कानिटकर ने वर्ष 2000 से घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया था और इस दौरान वह महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश व राजस्थान की ओर से पेशेवर खिलाड़ी के रूप में खेले।

फील्डिंग बन गई चुनौती
पुणे के निवासी कानिटकर ने कहा कि क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला उन्होंने फील्डिंग चुनौतियों के बाद लिया था। उन्होंने कहा, बल्लेबाजी का शौक मुझमें अब भी है, लेकिन मैदान पर फील्डिंग को लेकर एक प्रेरणा की आवश्यकता है क्योंकि पिछले काफी समय से मैं इससे अलग हूं। कानिटकर ने अपना अंतिम प्रथम श्रेणी मैच राजस्थान की ओर से वर्ष 2013 में चेन्नई के खिलाफ खेला था।

कोचिंग को लेकर उत्साहित
चालीस वर्षीय इस बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के समक्ष कोच बनने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि वह कोचिंग को लेकर उत्साहित हैं और यदि मौका मिला तो बेहतर परिणाम देने की कोशिश करेंगे। कानिटकर ने कहा, मैं चाहता हूं कि मैं क्रिकेट समीक्षक के तौर पर भी काम करूं।

कप्तानी में राजस्थान ने रचा इतिहास
कानिटकर घरेलू क्रिकेट में एकमात्र कप्तान हैं, जिनके नेतृत्व में टीम ने रणजी ट्रॉफी का एलीट व प्लेट लीग खिताब जीता है। वर्ष 2010-11 में कानिटकर पेशेवर खिलाड़ी के रूप में राजस्थान टीम से जुड़े और पहले ही सत्र में उन्होंने टीम को न केवल प्लेट ग्रुप से एलीट ग्रुप में प्रवेश दिलाया, बल्कि टीम उनकी कप्तानी में पहली बार खिताब जीतकर इतिहास रचने में भी सफल रही। कानिटकर की कप्तानी में राजस्थान टीम ने वर्ष 2011-12 में लगातार दूसरी बार रणजी ट्रॉफी जीतने का कारनामा भी किया था।

करियर एक नजर
1997 में श्रीलंका के खिलाफ इंदौर में खेला पहला वनडे
1998 इंडिपेंडेंस कप में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में सकलैन मुश्ताक की गेंद पर विजयी चौका जड़ भारत को खिताब दिलाया
1999 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेला पहला टेस्ट मैच
146 प्रथम श्रेणी मैचों में 52.26 के औसत से 10400 रन बनाए
8000 रन पूरे करने वाले तीसरे क्रिकेटर हैं रणजी ट्रॉफी में, 28 शतक भी लगाए
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