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पॉजीटिव मूड ने बदल दिया है पुजारा का खेल

Published: Nov 11, 2016 05:37:00 pm

Submitted by:

Kuldeep

चेतेश्वर पुजारा ने राजकोट टेस्ट में इंग्लैंड की तरफ से खड़े किए गए पहाड़ जैसे स्कोर के सामने भारतीय टीम की चुनौती को मुरली विजय के साथ दोहरी शतकीय साझेदारी कर जिस तरह संभाला, उससे भी ज्यादा तारीफ का काम उन्होंने अपने पॉजीटिव खेल से विजय के ऊपर से भी दबाव हटाने का किया।

Cheteshwar Pujara changed his game in positive mod

India Vs England : Positive Play Has Success Key For Cheteshwar Pujara

कुलदीप पंवार

नई दिल्ली। 11 पारी, 4 शतक, 115 का बल्लेबाजी औसत और 1000 से ज्यादा रन। चालू सीजन में हर स्तर की क्रिकेट में चेतेश्वर पुजारा का ये आंकड़ा किसी भी क्रिकेट विशेषज्ञ के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी हो सकता है। राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टीम की नई दीवार कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा का रन बनाना नई बात नहीं है। नई बात है खेल के प्रति उनका बदला हुआ पॉजीटिव रवैया। उन्होंने राजकोट टेस्ट में इंग्लैंड की तरफ से खड़े किए गए पहाड़ जैसे स्कोर के सामने भारतीय टीम की चुनौती को मुरली विजय के साथ दोहरी शतकीय साझेदारी कर जिस तरह संभाला, उससे भी ज्यादा तारीफ का काम उन्होंने अपने पॉजीटिव खेल से विजय के ऊपर से भी दबाव हटाने का किया।


Cheteshwar Pujara changed his game in positive mod


अतिरिक्त सावधानी से बिगड़ा था खेल
इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय धरती पर पिछली सीरीज याद कीजिए। भारत भले ही वह सीरीज 2-1 से हारा था, लेकिन पुजारा ने 4 मैच में एक दोहरे शतक समेत दो शतक लगाते हुए 438 रन बनाए थे। इन पारियों में पुजारा की पहचान एक धीमी गति से अपनी पारी को आगे बढ़ाने वाले बल्लेबाज की थी। पुजारा इसके बाद लगातार बड़ी पारियां खेलने में असफल रहे। तकनीकी रूप से टीम का सबसे बेहतर बल्लेबाज होने के बावजूद वह सिर्फ धीमी पारी में अतिरिक्त सावधानी अपना लेने के चलते अपने ऊपर दबाव बना लेने के ठीक वैसे ही दौर से गुजर रहे थे, जैसा कि राहुल द्रविड़ अपने करियर के मध्य दौर में झेल चुके थे। जून में वेस्टइंडीज दौरे पर गई भारतीय टीम में लगभग सभी बल्लेबाजों ने रन बनाए पर पुजारा बड़ी पारी नहीं खेल पाए।

दलीप ट्रॉफी से बदला खेल
वेस्टइंडीज से लौटने पर उन्होंने दोबारा अपनी बल्लेबाजी पर मंथन किया। कमी पकड़ी गई और उन्होंने रन और गेंद के तालमेल के साथ पारियां खेलनी शुरू की। इस पॉजीटिव रुख का कमाल इस सीजन में उनके बल्ले से रनों की बाढ़ के रूप में सामने आया है। दलीप ट्रॉफी में पहली बार डे-नाइट प्रथम श्रेणी खेलते हुए 166 और 256* के स्कोर बनाए। न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर टेस्ट में 62 व 78, कोलकाता में 87 व 4 और इंदौर में 41 व 101* की पारियां खेलीं तो उसके बाद महाराष्ट्र के खिलाफ एकमात्र रणजी पारी में 98 रन ठोक दिए। इन सभी मैचों की खास बात थी पॉजीटिव अंदाज में स्कोर बोर्ड लगातार बढ़ाने की कोशिश करना। इंदौर में शतक तो पुजारा ने सिर्फ 148 गेंद में ही ठोक दिया। इसी बदले खेल ने उनका भाग्य बदल दिया है।


Cheteshwar Pujara changed game in positive mode


कमाल की कलात्मक बल्लेबाजी

ऑफ साइड में खूबसूरत कवर ड्राइव, विकेट के दोनों तरफ सीधे बल्ले से वी-शेप में रन बटोरने की क्षमता। किसी भी स्पिनर का मुंह बंद कर देने वाले स्वीप शॉट और पैडल स्वीप। कमजोर शॉर्टपिच गेंद को पूरा सम्मान देते हुए खूबसूरत तरीके से कट या पुल करना। कुल मिलाकर इंग्लैंड के खिलाफ शुक्रवार को खेली गई 124 रन की पारी ही बता देती है कि बल्लेबाजी में पॉजीटिव रुख अपनाने के बावजूद पुजारा ने वो कलात्मकता नहीं गंवाई है, जो उन्हें अपने समय के बाकी बल्लेबाजों से अलग करती है। इस पारी में पुजारा ने जहां 53 प्रतिशत रन ऑफ साइड में खेलकर बनाए तो 47 प्रतिशत रन लेग साइड में आना यह दिखाता है कि वह विकेट के चारों तरफ खेलते हैं, जो एक संपूर्ण बल्लेबाज की निशानी है।
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