कुंबले तो तब भी हमारे कोच थे : राजेश चौहान
Published: Jul 07, 2016 12:17:00 am
राजेश चौहान का मानना है कि उनकी नियुक्ति भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी
Virat Kohli , Anil Kumble
कुलदीप पंवार
नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे सफल गेंदबाज अनिल कुंबले के टीम इंडिया का चीफ कोच बनते ही एक बहस हर तरफ शुरू हो गई है कि क्या इस शानदार लेग स्पिनर का कोच के तौर पर कार्यकाल भी उतना ही सफल होगा, जितना उनका खिलाड़ी के तौर पर करियर रहा? लेकिन नब्बे के दशक में कुंबले की ही अगुआई में भारतीय टीम को कई यादगार जीत दिलाने वाली स्पिन तिकड़ी में ऑफ स्पिन की कमान संभालने वाले पूर्व भारतीय गेंदबाज राजेश चौहान का मानना है कि उनकी नियुक्ति भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
गेंदबाजी के ‘कप्तान’ थे कुंबले
भारत के लिए 21 टेस्ट मैच व 35 वनडे मैच खेलने के अलावा मध्य प्रदेश के लिए प्रथम श्रेणी खेले चौहान ने ‘पत्रिका’ से खास बातचीत में कुंबले के चीफ कोच बनने को लेकर बहुत सारी बातें कहीं। चौहान ने कहा कि कुंबले आज कोच नहीं बने हैं बल्कि वह जब खेलते थे, तब भी कोच ही थे। वह तब टीम के अनॉफिशियल गेंदबाजी कोच की भूमिका निभाते थे या दूसरे शब्दों में कहें तो वह टीम इंडिया की गेंदबाजी के ‘कप्तान’ थे। हमारी स्पिन तिकड़ी की सारी रणनीति वो ही तैयार करते थे। हमारी टीम के वो इंजीनियर थे, जो सफलता की बिल्डिंग तैयार करते थे। हमें समझाते थे कि ऐसे गेंद फेंकनी है। उनकी रणनीति और समझाने का ढंग तब भी कमाल की होती थी।
‘कुंबले इंजीनियरिंग’ देगी क्रिकेट की नई ‘बिल्डिंग’
चौहान कहते हैं कि इतने समय तक टेस्ट क्रिकेट खेलने के कारण जानकारी तो कुंबले की गजब है। वो टीम की बहुत हेल्प कर पाएंगे। लेकिन जिस ढंग से उन्होंने अपनी प्लानिंग की है, धोनी-कोहली को बैठाया है या कहें कि अंदरुनी टीम बनाकर चल रहे हैं, उससे आने वाले समय में बहुत बढिय़ा सिस्टम बन जाएगा कि अंडर-19 में पहुंचा बच्चा हर स्तर पर अपनेआप बढ़ता हुआ सीनियर टीम में पहुंच जाएगा। अभी हमारे यहां यह सिस्टम नहीं है। कुंबले की इस इंजीनियरिंग का यह फायदा पूरी भारतीय क्रिकेट को ही होगा।
अपना ही अलग स्टाइल है कुंबले का
अनिल का अपना एक स्टाइल और एक क्वालिटी है, चाहे वो क्रिकेटिंग को ले लीजिए या एडमिनिस्ट्रेशन को या फिर प्लानिंग को। यह कहते हुए चौहान आगे कहते हैं कि कुंबले को यदि ये सब सही ढंग से लागू करने दिया गया तो क्रिकेट को बहुत फायदा होगा। अपने फैब-4 यानि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण को जैसे जोड़ा गया है, यदि कुंबले के साथ इन सबको क्रिकेटिंग के लिहाज से खिलाडिय़ों से जोड़ दिया गया तो भारतीय क्रिकेट ही बदल जाएगी। राहुल तो जूनियर टीम के संग हैं ही, लेकिन शायद गांगुली दादा एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारियों के चलते नहीं मिल पाएंगे पर बाकी दोनों तो मेरे हिसाब से मिल ही सकते हैं। बोर्ड अधिकारी इनका क्या उपयोग कर रहे हैं या क्या फायदा अभी ले रहे हैं, ये तो मुझे नहीं पता, लेकिन इनका जुडऩा बहुत लाभ देगा।
एक जनरेशन चेंज देख रही है भारतीय क्रिकेट
चौहान भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ दिनों में कुंबले समेत फैब-4 के आगमन को एक जनरेशन चेंज की नजर से देखते हैं। उनका कहना है कि अनुराग ठाकुर के आने के बाद युवाओं को जोडऩे की जो शुरुआत हुई है, ये बहुत अच्छी शुरुआत है। आप मेरे शब्द लिख लीजिए, इसमें अगले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट का गोल्डन पीरियड आता दिखाई दे रहा है।