scriptजब तक फिट हूं खेलती रहूंगी, टीम पर बोझ बनने से पहले हट जाउंगी  | Mitali Is Looking Forward, Will Play Next 2 and 3 year | Patrika News

जब तक फिट हूं खेलती रहूंगी, टीम पर बोझ बनने से पहले हट जाउंगी 

Published: Jul 27, 2017 03:09:00 pm

Submitted by:

Kuldeep

 2021 के विश्वकप के लिए 4 साल का समय बाकि है। अभी मेरी फिटनेस ठीक है लेकिन अगले चार साल तक एक जैसी नहीं रहेगी इसमें बदलाव होगा। आगे देखते हैं क्या होगा।

Mithali Raj

Mithali Raj

नई दिल्ली :टीम मैं शो-पीस खिलाडी के तौर पर शामिल नहीं रह सकती। महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने प्रेस कान्प्रेंस में बताया कि अगर फिटनेस सही रही तो वे 2021 में आयोजित होने वाला अगला विश्वकप खेल सकती हैं । पत्रकारों से बात करते हुए मिताली ने कहा झूलन गोस्वामी और वे खुद टीम में शामिल सबसे सीनियर खिलाडी हैं। 
मैं अभी फिट हूं 
जिन्होंने बहुत लम्बे समय तक क्रिकेट खेला है। अब समय आ गया है कि टीम में कुछ नये खिलाडियों को लाया जाये। मिताली ने कहा कि वे एक समय में एक ही चीज पर ध्यान लगाती हूं। 2021 के विश्वकप के लिए 4 साल का समय बाकि है। अभी मेरी फिटनेस ठीक है लेकिन अगले चार साल तक एक जैसी नहीं रहेगी इसमें बदलाव होगा। आगे देखते हैं क्या होगा।
महिलाओं का विश्वकप के फाइनल तक पहुंचना देश में बदलाव लायेगा। अब ज्यादा लड़कियां क्रिकेट की तरफ आकर्षित होंगी। मिताली ने कहा कि वे सन्यास के बाद प्रतिभाओं को तलाशने का काम करेंगी उनका मकसद टीम के लिए बेहतर महिला खिलाडियों को ढूँढना है।
कोच ने विकसित की नई सोच 
मिताली ने टीम की सफलता के लिए कोच तुषार अरोठे को धन्यवाद देते हुए कहा कि टीम के लिए एक कोच बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। कोच ही वह व्यक्ति है जो हमें हमारी कमियों के बारे में बताता है, उनको दूर करने के सही रास्ते बताता है। 
बदलाव का समय 
मैंने और झूलन ने 2005 का विश्वकप भी खेला है। 2005 से लेकर 2017 तक बहुत बदलाव आ चुके हैं पहले महिला टीम बीसीसीआई के अंडर में नहीं आती थी लेकिन अब आती है।बीसीसीआई के अंडर में आने से महिला क्रिकेट को बहुत फायदा हुआ है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान लड़कियों के खिले चेहरे अपनी कहानी कह रहे थे। वे जानतीं हैं कि उन्होंने क्या हासिल किया है। वे किस बदलाव की अगुवाई कर रहीं है।
महिला क्रिकेट का भविष्य अच्छा है 
मिताली राज और झूलन के लिए ये पहली बार नहीं था कि जब ऐसे किसी बड़े टूर्नामेंट की आखिरी बाधा पार न कर वापस लौटीं हों। मिताली और झूलन 2005 विश्वकप टीम का भी हिस्सा थीं। भारतीय महिलाएं 2005 में भी उपविजेता के टाइटल के साथ वापस लौटीं थी। विश्वकप में मिली हार का गम बहुत ज्यादा है,उबरने में वक्त लगेगा। उम्मीद करती हूं कि महिलाएं भविष्य में विश्वकप जीतकर देश का नाम करेंगी।

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