scriptपवार ने छोड़ा एमसीए का अध्यक्ष पद पर नाखुश | Sharad Pawar to quit MCA post, after 6 months | Patrika News

पवार ने छोड़ा एमसीए का अध्यक्ष पद पर नाखुश

Published: Jul 25, 2016 08:42:00 am

पवार ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के सम्मान में जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने लोढा कमेटी की सिफारिशों पर आपत्ति भी जताई

Sharad Pawar

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कुलदीप पंवार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस लोढा कमेटी की सिफारिशों को 6 महीने में इन्हें लागू करने का निर्णय देने के बाद भारतीय क्रिकेट में इससे बचाव के रास्ते ढूंढने की जुगत भी शुरू हो गई है। कार्रवाई की जद में आने वालों ने पद छोडऩा शुरू किया है तोसभी राज्य संघों में मनोनीत पदों के जरिए क्रिकेट की राजनीति जारी रखने की कवायद भी शुरू हो गई है। 



इस्तीफा दिया पर नाखुश 
लोढा कमेटी की सिफारिशों का के असर का पहला नजारा रविवार को मुंबई में दिखाई दिया, जहां क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष शरद पवार ने इस्तीफे की घोषणा की। पवार ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के सम्मान में जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने लोढा कमेटी की सिफारिशों पर आपत्ति भी जताई।



तीन सिफारिशें थीं शरद पर भारी
वर्ष 2005 से 2008 तक बीसीसीआई के चेयरमैन और वर्ष 2010 से 2012 तक आईसीसी के अध्यक्ष भी रहे पवार लोढा कमेटी के 70 साल से अधिक उम्र, राजनीतिक पद और नौ साल से ज्यादा समय क्रिकेट संघों में पदाधिकारी रहने वालों को दोबारा न चुनने के दायरे में थे। 76 साल के शरद पवार पिछली यूपीए सरकार में कृषि मंत्री थे और इस समय भी सांसद हैं। वह कई दशक से क्रिकेट संघों में हैं।



शरद का जुगाड़ गेम!
हालांकि एमसीए सूत्रों का कहना है कि नए संविधान के निर्माण में एक संरक्षक का पद सृजित करने की तैयारी है और पवार यह पद संभाल सकते हैं। यह भी संभावना है कि आमतौर पर दिखावे का होना वाला संरक्षक का पद नए संशोधन में कई अधिकारों वाला बना दिया जाए। यदि एेसा हुआ तो शरद पवार का नियंत्रण मुंबई क्रिकेट पर बना रहेगा।

मुझे सन्यास लेने पर बेहद खुशी होगी
‘मुझे सन्यास लेने पर बेहद खुशी होगी। एमसीए सुप्रीम कोर्ट के सभी सुझावों का सम्मान करता है पर हमें एक-दो मुद्दे स्पष्ट करने होंगे जैसे, महाराष्ट्र में तीन क्रिकेट संघ हैं, वहां हमें रोटेशन नीति से वोट पर कड़ी आपत्ति है। हम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, संघ के संविधान में परिवर्तन करेंगे और इसके लिए समिति का गठन करेंगे। शरद पवार, पद छोडऩे की घोषणा करते हुए कहा

अब श्रीनि और निरंजन!
लोढा कमेटी की सिफारिशों का अगला असर तमिलनाडु और सौराष्ट्रमें दिखेगा। तमिलनाडु क्रिकेट संघ में राज कर रहे पूर्व आईसीसी चेयरमैन 71 वर्षीय श्रीनिवासन का और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ में 72 साल के निरंजन शाह का उम्र के चलते दावा कमजोर है। यह दोनों 9 साल के नियम के दायरे में भी आ रहे हैं। 

दोनों करेंगे जुगाड़!
कोर्ट के तमाम बार आपत्ति जताने के बावजूद बीसीसीआई अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से इंकार कर देने वाले श्रीनिवासन व बीसीसीआई में सत्ता पर काबिज होने हर गुट के राज में किसी ने किसी पद की संभावना बना लेने वाले शाह भी संरक्षक सरीखे किसी पद से संघों पर नियंत्रण बनाए रखने का प्रयास कर सकते हैं।

बेटे के जरिए आरसीए को चलाएंगे ललित मोदी
अपने खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया के कारण लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे पूर्व आईपीएल चेयरमैन ललित मोदी का भी लोढा कमेटी की सिफारिशों के कारण राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के अध्यक्ष पद पर बने रहना कठिन हो गया है। आरसीए सूत्रों का कहना है कि मोदी आरसीए पर नियंत्रण बनाए रखने को अपनी जगह अपने बेटे रुचिर को अध्यक्ष बनाएंगे। 
माना जा रहा है कि ललित मोदी के इस कदम से बीसीसीआई की तरफ से आरसीए पर दो साल पहले लगाया गया प्रतिबंध भी हटाने में आसानी मिलेगी। बता दें कि वर्ष 2014 में ललित मोदी पर बीसीसीआई की तरफ से आजीवन प्रतिबंध होने के बावजूद उन्हें आरसीए का अध्यक्ष चुन लिया गया था। बीसीसीआई ने आरसीए को प्रतिबंधित कर राजस्थान में क्रिकेट से जुड़ी गतिविधियों की एक एडहॉक कमेटी बना दी थी। लोढा कमेटी की सिफारिशों में एडहॉक कमेटी की व्यवस्था नहीं होने से आरसीए का प्रतिबंध हटना तय है। एेसे में मोदी इस प्रतिबंध को बनाए रखने का कोई बहाना बीसीसीआई में बैठे विरोधियों को नहीं देना चाहते हैं।

बैकडोर से नियंत्रित करेंगे आरसीए को
इस संभावना के सामने आने पर कुछ दिन पहले रुचि की आरसीए के अन्य सदस्यों के साथ जयपुर में हुई मुलाकात का कारण भी सामने आ रहा है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में रुचिर को अध्यक्ष बनाने की भूमिका बनाई गई थी। संभावना यह भी जताई गई है कि ललित मोदी खुद भी संरक्षक या किसी अन्य मनोनीत पद के जरिए संघ में बने रहेंगे, जिससे लोढा कमेटी के नियमों का उल्लंघन भी नहीं होगा और मोदी खुद भी आरसीए की मीटिंगों में मौजूद रह पाएंगे। यदि एेसा नहीं भी हुआ तब भी अपने बेटे के जरिए मोदी का आरसीए पर नियंत्रण बना रहेगा।

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