आईपीएल और टी-20 मैचों से अपनी पहचान बनाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के धाकड़ ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की काबिलियत पर शायद ही किसी को शक हो। वर्तमान में भारतीय टीम में ऑलराउंडर की कमी को पूरा कर रहे विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार हो चुके हार्दिक पांड्या आज जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं…
आईपीएल और टी-20 मैचों से अपनी पहचान बनाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के धाकड़ ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की काबिलियत पर शायद ही किसी को शक हो। वर्तमान में भारतीय टीम में ऑलराउंडर की कमी को पूरा कर रहे विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार हो चुके हार्दिक पांड्या आज जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं। चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में पाकिस्तानी गेंदबाजों के आगे रोहित, धवन और कोहली जैसे दिग्गजों ने जब घुटने टेंक दिए तो हार्दिक पांड्या ही थे जिन्होंने टीम को बड़े अंतराल से हारने से बचा लिया। इस मैच के अलावा भी कई मौकों पर हार्दिक ने अपनी उपयोगिता साबित की है। आज हम पांड्या से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को आपके सामने रख रहे हैं जिनसे शायद आप अभी तक अनजान होंगे!
5 साल की उम्र में ही किरन मोरे को भा गए थे पांड्या-
आईपीएल खेलने से छह महीने पहले तक उनका जीवन काफी संघर्ष भरा था। पिता को एक साथ दो हार्ट अटैक आने के बाद घर की आर्थिक हालात पहले से और बदतर हो गई थी। दोनों भाइयों ने मिलकर किस्त से कार तो खरीदी थी, लेकिन उसमें डलवाने के लिए पेट्रोल के पैसे नहीं होते थे। क्रिकेटर किरण मोरे उनके पिता के बारे में अच्छे से जानते थे। वह दोनों भाइयों के टैलेंट से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उनसे तीन साल तक अकादमी की फीस तक नहीं ली। लेकिन किरन मोरे की अकादमी में हार्दिक का दाखिला आसानी से नहीं हुआ था।
आंखों में सपने भरे क्रुनाल पांड्या (7) और हार्दिक पांड्या (5) के पिताजी अपने दोनों बच्चों को जब पूर्व भारतीय विकेट कीपर किरन मोरे की क्रिकेट एकेडमी में ले गए तब मोरे ने उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया। दरअसल मोरे की एकेडमी में 12 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता था। हालांकि हार्दिक के पिता को अपने बच्चों के टैलेंट पर विश्वास था। उन्होंने किसी तरह मोरे को मनाया और कहा कि आप एक बार बच्चों का स्किल टेस्ट लेकर देख लीजिए। इसके बाद जो हुआ वो हर कोई जानता है। दोनों भाइयों ने उस छोटी सी उम्र में क्रिकेट को बारीकियों के साथ खेला था। उसी दिन से किर मोरे की एकेडमी के रूल हमेशा के लिए बदल गए। दोनों को एडमिशन मिल गया। एक जगह इंटरव्यू में मोरे ने पांड्या के पहले दिन के बारे में अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि ये दोनों बच्चे इस उम्र में क्रिकेट को बारिकी से परख रहे हैं।
गरीबी से उबरकर निकला है ये खिलाड़ी-
हार्डिक पांड्या एक आर्थिक रूप से मजबूत परिवार से नहीं है। उनके परिवार को दिन में एक बार भोजन करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा है। पांड्या के पिता ने उनके क्रिकेट करियर के लिए बहुत बलिदान किया है। वे पांड्या की ट्रेनिंग के लिए सूरत से बांद्रा आकर बस गए। किरण मोरे ने अपनी अकादमी में पहले तीन वर्षों के लिए हार्दिक पांड्या से कोई फीस नहीं ली।
क्रिकेट के भगवान् सचिन भी हैं हार्दिक के फैन-
क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने पांड्या के बारे में एक बार कहा था कि जब पांड्या नेट के अंदर शॉट खेलते हैं तो किसी खिलाड़ी में उसे रोकने की हिम्मत नहीं होती थी। आईपीएल में सीएसके के खिलाफ मैच के दौरान सचिन ने पांड्या को कहा कि तुम एक साल के अंदर ही इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू कर दोगे। उनकी यह बात बिल्कुल सही साबित हुई क्योंकि छह महीने बाद ही पांड्या को न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू करने का मौका मिल गया। गरीबी के कारण मैगी खाकर करते थे गुजारा-
किरण मोरे ने दोनों का नाम ‘मैगी ब्रदर्स’ रखा दोनों भाईयों की मेहनत और कौशल की तारीफ करते हुए किरण मोरे ने दोनों का नाम ‘मैगी ब्रदर्स’ रखा है क्योंकि अकेडमी में खेलते वक्त दोनों अक्सर मैगी खाकर अपनी भूख शांत कर लेते थे क्योंकि दोनों के पास इतने पैसे नहीं थे वो पेट भरकर पौष्टिक भोजन खा सके जो कि उनकी फिटनेस और क्रिकेट खेलने के लिए खासा जरूरी थे। हार्दिक के पास तब पेट्रोल भराने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे।
आज आलम यह है कि अब तो उनकी फैन फॉलोइंग में बड़े-बड़े स्टार्स का नाम शामिल हैं। यहां तक कि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन खुद को पांड्या के सबसे बड़े प्रशंसक बता चुके हैं।