3 मैच में कैसे बदली 3 महीने तक पिटने वाली टीम इंडिया?
जादू की ऎसी छड़ी चली कि थकी-हारी भारतीय टीम क्रिकेट के सबसे बड़े मंच पर उठकर खड़ी हो गई
शायद किसी ने भी नहीं सोचा था! विश्व कप से पहले तक हर भारतीय के मन में आशंका थी। हर किसी को लग रहा था कि इस बार हालात बेहद खराब हैं। पिछले तीन महीने से ऑस्ट्रेलिया में हर मैच में मात खाने वाली टीम इंडिया से खिताब बचाने की उम्मीद बहुत से लोगों ने छोड़ दी थी। कैप्टन कूल महेन्द्र सिंह धोनी अब उतने कूल नहीं दिख रहे थे। मीडिया में आए दिन टीम में मतभेद की खबरें सामने आ रही थीं।
बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर खड़े ही नहीं हो पा रहे थे। गेंदबाजों के लिए विकेट लेना टेढ़ी खीर साबित हो रहा था। उस पर पहले दो मैच पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका से खेलने थे। ऎसे में बस चमत्कार की ही उम्मीद थी…। और शायद वो चमत्कार हो गया। जादू की ऎसी छड़ी चली कि थकी-हारी और पिटी दिखने वाली भारतीय टीम क्रिकेट के सबसे बड़े मंच पर अचानक ही उठकर खड़ी हो गई।
बल्लेबाज रंग में
विश्व कप से पहले त्रिकोणीय सीरीज में बल्लेबाजों के लिए रन बनाना बेहद मुश्किल हो गया था। टेस्ट सीरीज में चार शतक लगाने वाले विराट कोहली 4 मैचों में महज 24 रन ही बना सके। शिखर धवन की फॉर्म को लेकर तो आलोचनाएं भी शुरू हो गईं थी। मध्य क्रम भी लड़खड़ाता नजर आ रहा था। त्रिकोणीय सीरीज में टीम दो बार 150 रन पर ढेर हो गई थी। लेकिन विश्व कप में सब कुछ बदल गया। क ोहली, धवन, रैना, रहाणे सभी के बल्लों से रन निकलने लगे। पहले दोनों मैचों में टीम ने 300 से ज्यादा का स्कोर बनाया।
गेंदबाजी में भी सुधार
त्रिकोणीय सीरीज में गेंदबाजी का हाल भी बुरा था। भारतीय समर्थकों को सबसे ज्यादा सिरदर्द तो गेंदबाजों ने ही दिया था। मगर उन्होंने भी सही समय पर लय पकड़ ली। वे न सिर्फ विकेट ले रहे हैं बल्कि रन लुटाने में भी कंजूसी बरत रहे हैं।
फील्डिंग से अंतर
भारतीय फील्डिंग भी जोश से लबरेज लग रही है। एबी डीविलियर्स का रन आउट कितना अहम था, इसका अंदाजा अगले मैच में वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेली गई उनकी ताबड़तोड़ पारी से ही लगाया जा सकता है।
कैप्टन कूल धोनी
मगर सबसे बड़ा अंतर पैदा किया है धोनी की कप्तानी ने। विश्व कप से पहले ऎसा लगने लगा था कि धोनी का मन कहीं और है। मगर विश्व कप में पुराने रंग में दिखे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में डीविलियर्स जहां रक्षात्मक एप्रोच के साथ मैदान में उतरे, वहीं धोनी ने पहले ओवर से ही आक्रामक रूख अपनाया। डीविलियर्स भले ही बल्लेबाजी के सुपरहीरो हैं, लेकिन धोनी की चालें उनकी समझ
से परे रहीं।
…लेकिन ये चिंताएं अभी भी बरकरार
1. निचले क्रम की विफलता : भारतीय टीम का निचला क्रम रन नहीं बना पा रहा है। अगर किसी मैच में शीर्ष क्रम विफल रहता है, तो टीम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके अलावा सातवें नम्बर पर आक्रामक बल्लेबाज की कमी भी भारत को खल रही है। अंतिम ओवरों में तेजी से रन बनाने का जिम्मा अकेले धोनी पर ही है।
2. अंतिम पांच ओवर : आखिरी पांच ओवरों में दूसरी टीमें जहां रनों का अंबार लगा रही हैं, वहीं टीम इंडिया इस मामले में विफल हो रही है। पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत आसानी से 25 से 30 रन ज्यादा बना सकता था।
3. अच्छी शुरूआत भी जरूरी : रोहित शर्मा ने यूएई के खिलाफ अर्द्धशतक बनाकर भारतीय टीम की चिंताएं कुछ हद तक दूर की हैं। पहले दो मैचों में भारत को अच्छी शुरूआत नहीं मिली है। नॉकआउट राउंड में भारत के लिए पहलू काफी अहम रहेगा।
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