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डीयू में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने वाले गिरोह का भांडा फोड़, 4 गिरफ्तार 

Published: Jul 30, 2015 08:59:00 pm

दिल्ली यूनिवर्सिटी में फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट और दूसरे दस्तावेजों के जरिये दाखिला कराने वाले चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

Admission racket in Delhi University

Admission racket in Delhi University

नई दिल्ली। फर्जी कागजों के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में छात्रों का दाखिला कराने वाले गिरोह का दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने खुलासा किया है। गिरफ्तार चारों युवक फर्जी मार्कशीट बनाकर छात्रों का विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन कराते थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी में फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट और दूसरे दस्तावेजों के जरिये दाखिला कराने वाले इस गैंग के चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में एडमिशन कराने के लिए छात्रों से सात से आठ लाख रूपये तक लेते थे।

पुलिस के मुताबिक ये गैंग पिछले तीन साल में सौ से अधिक दाखिले करा चुका है। दिल्ली पुलिस को हिंदू कॉलेज और किरोड़ीमल कॉलेज सहित करीब आधा दर्जन कॉलेजों में गैंग द्वारा दाखिला कराए जाने का पता चला है। दिल्ली के बड़े प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटे से फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये दाखिला कराने के रैकेट के पर्दाफाश के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में एससी-एसटी के फर्जी सर्टिफिकेट पर दाखिला कराने के मामले का खुलासा हुआ है।

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गुरूवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में पिछले तीन साल से चलाए जा रहे इस रैकेट का पर्दाफाश कर चार लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों के पास से फर्जी सर्टिफिकेट के साथ-साथ, मुहर, प्रिंटर और फर्जी मार्कशीट बरामद हुई हैं। पुलिस गिरफ्त में आए दो युवक दिल्ली के दो और एक युवक यूपी व दूसरा बिहार का है। इनमें सुनील पवार उर्फ गुरूजी और मोहम्मद जुबेर दिल्ली के महरौली और हौजरानी के हैं, जबकि प्रवीन झा समस्तीपुर (बिहार) और रचित खुराना नोएडा (उत्तर प्रदेश) का बताया जा रहा है। फर्जीवाड़ा कर एडमिशन दिलाने में सुनील पवार और जुबेर की भूमिका छात्र-छात्राओं को फंसाने की होती थी। वहीं, रचित खुराना और प्रवीन झा फर्जी कागजात तैयार करते थे। इनमें मार्कशीट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, डिग्री, चरित्र प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र प्रमुख होता था। इतना ही नहीं, ये चारों शातिर युवक ऎसे उम्मीदवारों का जाली सर्टिफिकेट भी तैयार करते थे, जो नौकरी हासिन करना तो चाहते, लेकिन उनके पास डिग्री नहीं होती थी। इन शातिरों के पास स्टैंप, सर्टिफिकेट, प्रिंटर, कंप्यूटर जैसे चीजें हमेशा उपलब्ध होती थीं।
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