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जयपुर

मण्डी में बढ़ी चहल-पहल

कस्बे की नई अनाज मण्डी में इन दिनों मूंगफली की आवक से चहल-पहल बढ़ गई है।
गौरतलब है कि इस बार बारानी खेती कमजोर होने से मण्डी में मोठ, मूंग,
ग्वार की आवक कम है।

जयपुरNov 05, 2015 / 06:34 pm

Nikhil swami

कस्बे की नई अनाज मण्डी में इन दिनों मूंगफली की आवक से चहल-पहल बढ़ गई है। गौरतलब है कि इस बार बारानी खेती कमजोर होने से मण्डी में मोठ, मूंग, ग्वार की आवक कम है।

ऐसी स्थिति में मूंगफली की आवक ने मण्डी में रौनक ला दी है। मूंगफली की आवक से मण्डी में देर रात तक किसानों, व्यापारियों व पल्लेदारी की चहल-पहल देखने को मिल रही है।

मूंगफली के भाव भी गत साल की बजाय अच्छे होने से काश्तकार अपनी उपज लाने को उतावले है। बुधवार को मण्डी में 3500 से 4800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मूंगफली की ढेरियों की बोली हुई।

व्यापार मण्डल अध्यक्ष मनीराम लेघा ने बताया कि मण्डी में इन दिनों काश्तकार गीली व लकड़ी समेत ढेरियां ला रहे है। इससे काश्तकारों को भाव भी कम मिल रहे है।

ऐसी स्थिति में गीली व लकड़ी वाली मूंगफली नहीं लाने का आग्रह कर रहे है तथा आगामी दिनों में गीली मूंगफली पर बोली नहीं करने का निर्णय लिया जाएगा।

मण्डी में सावणी फसलों की उपज आने से पल्लेदारों को रोजगार मिलने से उत्साह है तथा बिहार, यूपी, झारखण्ड समेत कई राज्यों से मजदूरी करने लोग आ रहे है।

बुआई का कार्य शुरू
लालमदेसर बड़ा. क्षेत्र में खरीफ की मूंगफली, ग्वार, मोठ व बाजरा की फसल कटाई कर खलिहान निकालने के बाद किसानों ने कृषि कुओं पर रबी की गेहुं, चना, सरसों, मेथी व जीरा की फसल बुआई शुरू कर दी है।

मसूरी गांव के किसान श्रवण कुमार हुड्डा ने बताया कि इस वर्ष 15 अगस्त के बाद बारिश नहीं होने के कारण बारानी खेती मे अकाल के साथ ही मूंगफली का उत्पादन भी प्रति बीघा औसतन चार से पांच क्विंटल ही रहा है।

इससे किसानों के सामने साहूकारों व बैंक का कर्ज चुकाने के लाले पड़ रहे हैं। बिदासरिया के किसान गंगासिंह राजपूत ने बताया कि रबी की फसल बुआई के समय किसानों को आठ घंटे बिजली आपूर्ति व डीएपी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि किसान खरीफ फसल के नुकसान की भरपाई रबी की बुआई कर बेहतर उत्पादन कर पूरा कर सकें।

लालमदेसर बड़ा के किसान मोहनराम सहू ने बताया कि एक बीघा जमीन की सिंचाई के लिए कम से कम आठ घंटे बिजली की जरूरत होती है।

ऐसे मे बुआई के समय अब किसानों को एक माह तक आठ घंटे बिजली आपूर्ति करनी चाहिए।
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