scriptआम आदमी पार्टी के कानून मंत्री की लॉ स्नातक डिग्री फर्जी | Delhi'a law minister Jitendra Singh Tomar's law graduation degree fake | Patrika News

आम आदमी पार्टी के कानून मंत्री की लॉ स्नातक डिग्री फर्जी

Published: Apr 28, 2015 12:30:00 am

हलफनामा दाखिल करके बताया है कि तोमर द्वारा पेश लॉ के प्रोविजनल सर्टिफिकेट फर्जी हैं और उनके रिकार्ड में तोमर नाम से कोई सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया

Delhi Law Minister Jitender Singh Tomar

Delhi Law Minister Jitender Singh Tomar

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की परेशानी बढ़ती ही जा रही हैं। फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके बताया है कि तोमर द्वारा पेश लॉ के प्रोविजनल सर्टिफिकेट फर्जी हैं और उनके रिकार्ड में तोमर नाम से ऎसा कोई सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर की खंडपीठ के समक्ष बिहार, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के निरीक्षक मनिंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जांच में पता चला है कि तोमर ने 18 मई, 2001 को रजिस्ट्रार राजेंद्र प्रसाद सिंह के हस्ताक्षर से जारी प्रोविजनल सर्टिफिकेट नंबर 3687 में तोमर को द्वितीय श्रेणी में पास दिखाया गया है, लेकिन विश्वविद्यालय से इस नंबर का प्रमाणपत्र तोमर को नहीं बल्कि 29 जुलाई, 1999 को किसी संजय कुमार चौधरी को बीए आनर्स राजनीति विज्ञान की परीक्षा के लिए जारी किया गया है।

यह प्रमाणपत्र राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर से नहीं बल्कि डॉ. मो. गुलाम मुस्तफा के हस्ताक्षर से जारी किया गया था, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रमाणपत्र फर्जी है और जाली हस्ताक्षर करके बनाया गया था। तोमर ने खुद को लॉ डिग्री धारक दिखाते हुए बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) से पंजीकृत करवाया और स्वयं को हाई कोर्ट में बतौर अधिवक्ता कार्यरत दिखाया है। यह सब मनगढ़ंत है।

फर्जी डिग्री के मामले में याचिकाकर्ता संतोष कुमार शर्मा का आरोप था कि कानून मंत्री जितेंद्र तोमर ने अवध विश्वविद्यालय से नकली स्नातक की डिग्री के आधार पर भागलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध विश्वनाथ सिंह इंस्टीटयूट ऑफ लीगल स्टडीज कॉलेज में दाखिला ले लिया था। उन्होंने कहा कानून की डिग्री लेने के बाद उसने दिल्ली बार काउंसिल में बतौर अधिवक्ता पंजीकरण करवा लिया। डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय-फैजाबाद के परीक्षा नियंत्रक ने 22 जनवरी, 2015 को पत्र भेज कर स्पष्ट किया है कि तोमर की उपाधि, अंकपत्र एवं अनुक्रमांक पूर्णतया फर्जी है।
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