scriptयाकूब की सजा को लेकर जजों में मतभेद, बड़ी बेंच करेगी सुनवाई | Hanging of Yakub likely to be sidestepped, higher bench to hear plea | Patrika News

याकूब की सजा को लेकर जजों में मतभेद, बड़ी बेंच करेगी सुनवाई

Published: Jul 28, 2015 04:34:00 pm

अब याकूब मेमन की फांसी पर चीफ जस्टिस फैसला लेंगे, इसकी सुनवाई बुधवार को होगी

Yakub Memon

Yakub Memon

नई दिल्ली। वर्ष 1993 में मुंबई के श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन के डेथ वारंट पर रोक लगाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग होने के बाद यह मामला मंगलवार को बड़ी बेंच के सुपुर्द कर दिया गया। आतंकवाद एवं विध्वंसक गतिविधि निरोधक कानून (टाडा) की विशेष अदालत द्वारा जारी डेथ वारंट के खिलाफ याकूब की अपील पर न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ के समक्ष सुबह साढ़े 10 बजे दोबारा सुनवाई शुरू हुई।


लंबी बहस के बाद दोनों न्यायाधीशों की राय याकूब खिलाफ जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने के मामले में अलग-अलग रही। न्यायमूर्ति दवे ने जहां डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, वहीं न्यायमूर्ति जोसेफ फांसी पर रोक लगाए जाने के पक्ष में थे। न्यायमूर्ति दवे ने कहा कि याकूब की फांसी पर रोक लगाने के बजाय उसकी दया याचिका को महाराष्ट्र सरकार के अंतिम फैसले पर छोड़ देना चाहिए।


उन्होंने संस्कृत के एक श्लोक का उल्लेख भी किया, जिसका अर्थ है कि यदि किसी अपराध की सजा राजा नहीं देता है तो इसका पाप राजा के सिर पर चढ़ता है। हालांकि, न्यायमूर्ति जोसेफ का कहना था कि याकूब की सुधार याचिका के निपटारे में प्रक्रियागत खामियां थी और इसे सुधारा जाना नितांत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि उसकी सुधार याचिका उन न्यायाधीशों को भी भेजी जानी चाहिए थी, जिन्होंने पुनरीक्षण याचिका खारिज की थी। न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि डेथ वारंट पर यदि रोक नहीं लगाई गई और याकूब को फांसी हो जाती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याकूब को प्राप्त जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

दोनों न्यायाधीशों की अलग-अलग राय को देखते हुए इस मामले को तीन सदस्यीय खंडपीठ को सुपुर्द करने का निर्णय लिया गया। मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू वृ±द पीठ का गठन करेंगे और बुधवार को इस मामले पर एक बार फिर सुनवाई होगी।

याकूब ने डेथ वारंट को यह कहते हुए चुनौती दी है कि उसके राहत के सारे विकल्प अभी खत्म नहीं हुए हैं। उसकी दया याचिका राज्यपाल के पास लंबित है, जिस पर कोई निर्णय आने से पहले उसे फांसी देना गैर-कानूनी होगा।
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