scriptआनंदपाल के घर में मिले 80 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति के कागजात | Rajasthan police seize documents of property worth of Rs. 80 crore from Anandpal house | Patrika News

आनंदपाल के घर में मिले 80 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति के कागजात

Published: Jul 26, 2016 01:04:00 pm

पुलिस ने सांवराद गांव में आनंदपाल के घर पर दबिश
देकर करीब 80 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के दस्तावेज जब्त किए हैं

Jeevanram Godhara Murder Case

Jeevanram Godhara Murder Case

जयपुर/ सीकर/ नागौर। पुलिस ने जसवंतगढ़ थाना क्षेत्र के सांवराद गांव में आनंदपाल के घर पर दबिश देकर करीब 80 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के दस्तावेज जब्त किए हैं। उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार डीडवाना सीओ नरसीलाल मीणा, लाडनूं थानाधिकारी नागरमल कुमावत ने कमांडो जाप्ते के साथ दबिश दी। गौरतलब है कि गत 22 जुलाई को कुख्यात अपरााधी आनंदपाल ने सांवराद में फायरिंग कर जसवंतगढ़ थानाधिकारी लादूसिंह को घायल कर दिया था। बुरी तरह घायल लादूसिंह को प्राथमिक उपचार के बाद जयपुर रैफर कर किया था,जहां उसका उपचार चल रहा है।

दस्तावेज व मोबाइल टेबलेट जब्त
उच्च अधिकारियों के निर्देश पर सोमवार को पुलिस ने फरार अपराधी आनन्दपाल के लाडनूं की दयानन्द कॉलोनी स्थित मकान पर दबिश देकर घर की तलाशी ली। तलाशी के दौरान आनन्दपाल की पत्नी, उसके भाई रूपेन्द्र पाल सिंह व उसकी पत्नी के नाम एवं उसके रिश्तेदारों और अन्य लोगों के नाम बेनामी सम्पत्ति के दस्तावेज व एक टेबलेट मोबाइल मिला। पुलिस दस्तावेजों व अन्य सामान की जांच कर रही है। कब्जे की भूमि को धारा 145 सीआरपीसी के तहत कुर्क करवाने के लिए लाडनूं थानाधिकारी नागरमल कुमावत ने न्यायालय एसडीएम कार्यालय लाडनूं में इस्तगासा पेश किया है।


परिजनों के नाम लिखवाई जमीन
दस्तावेजों के अनुसार गैंगस्टर के पास अनेक गाडिय़ां, कृषि भूमि, फार्म हाउस, खान, फ्लेट्स व प्लॉट हैं। गैंगस्टर ने ज्यादातर सम्पत्ति अपने करीबी सहयोगी एवं विश्वासी होने के कारण धर्मेन्द्र हरिजन व उसकी पत्नी सीतादेवी के नाम करने की संभावना है। धर्मेन्द्र हरिजन के नाम सम्पत्तियों के सम्बंध में धर्मेन्द्र ने पूछताछ में बताया कि उसने पैसे देकर कोई सम्पति नहीं खरीदी है। इन लोगों ने डरा धमका कर अर्जित की गई सम्पतियां उसके नाम करवाई है। गैंगस्टर ने दूसरे लोगों के नाम से बेनामी सम्पत्ति क्रय कर उन लोगों से पावर ऑफ एटोर्नी/हक त्याग, अपने रिश्तेदारों के नाम लिखवा लिया।

आयकर विभाग को लिखेंगे पत्र

गैंगस्टर अपने गुर्गों के जरिए विवादित सम्पत्तियों को वास्तविक मालिक/कब्जे धारियों को डरा धमका कर अपनी गैंग के सदस्य व परिवारजनों के नाम करवा लेता है। ये सभी सम्पतियां व वाहन गैंगस्टर ने अपराध कर अर्जित की है। इस सम्बंध में आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।

अब फेसबुक पोस्ट पर लिखकर कहा, दस दिन बाद फिर मचेगा आतंक
डीडवाना. सांवराद फायरिंग घटना के चंद दिनों बाद ही गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह के फेसबुक पेज पर सोमवार को दोपहर एक नई पोस्ट डाली गई है, जिसमें उसने दस दिन बाद फिर से ‘आतंक’ की चेतावनी दी है। आनंदपाल सिंह नाम से इस पेज पर दोपहर 2 बजे की गई इस पोस्ट में चार आधुनिक हथियारों की फोटो डाली गई है, जिसके साथ लिखा गया है कि ‘दस दिन बाद एक बार फिर आतंक मचेगा।’ इस पोस्ट के बाद उस पर लगातार कमेंट भी आ रहे हैं और आनन्दपाल के फॉलोअर्स ने इसे लाइक भी किया है।

पहले भी दी थी धमकी
गौर करने वाली बात यह है कि गत 20 जुलाई को भी आनंदपाल सिंह के पेज पर एक पोस्ट आई थी, जिसमें ‘कमिंग सून विथ धमाका’ की बात लिखी गई थी। उसके अगले ही दिन 21 जुलाई की रात को सांवराद गांव में जसवंतगढ़ थानाधिकारी लादूसिंह पर फायरिंग की घटना हुई थी। हैरत की बात है की आनन्दपाल को पकडऩे के लिए पुलिस महीनों से कवायद कर रही है, वहीं आनन्दपाल लगातार फेसबुक का इस्तेमाल कर रहा है।



भाई के पास भी है एके 47
सांवराद गांव में जसवंतगढ़ थानाधिकारी पर फायरिंग के मामले में सामने आया है कि कुख्यात आनंदपाल के भाई रूपेन्द्र पालसिंह उर्फ विक्की के पास भी एके 47 है। एके 47 पुलिस से लूटी गई है या फिर अन्य कोई। बोलेरो गाड़ी में रूपेन्द्र पाल सिंह के होने की पुष्टि घायल थानेदार ने की है।

कुख्यात अपराधी आनंदपाल की तलाश में भले ही प्रदेशभर की पुलिस जुटी हो, लेकिन इस मामले को लेकर दर्ज एफआईआर में आनंदपाल का नाम नहीं है। एेसे में अभी तक पुलिस तय भी नहीं कर पाई है कि आनंदपाल मौके पर था या नहीं।

अल्टो में निकल गया आनंदपाल
घायल थानाधिकारी ने बोलेरो जीप में आनंदपाल को नहीं देखा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या आनंदपाल अल्टो कार में चला गया। यह इसलिए भी संभव है कि सीकर में पकड़े गए उसके साथी सुभाष बराल ने स्वीकार किया था कि आनंदपाल गिरोह के लोग अब छोड़ी गाडि़यों का उपयोग करने लगे हैं। सुभाष भी बीकानेर में फरारी के दौरान अल्टो कार ही रखता था। इससे शहर में घूमने में परेशानी नहीं होती। साथ ही पुलिस भी छोटी गाड़ी की तरफ ध्यान नहीं देती।
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