उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से प्रश्न पूछा कि ऐसे मामलों में लड़कों के लिए अलग से कोई स्कीम क्यों नहीं है। उन्होंने सरकार को इस बारे में समुचित कारवाई करने के लिए दो सप्ताह का समय भी दिया। उल्लेखनीय है कि सरकार ने हर्जाने की व्यवस्था के साथ 2013 में बलात्कार से पीड़ित महिलाओं के लिए ‘मनोधैर्य’ स्कीम लॉन्च की थी।
हाल ही हुए शोलापुर के कवदास अनाथालय में हुए यौन शोषण मामले का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की। इस मामले में अनाथालय के संचालक सहित छह लोगों को दोषी पाया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले यौन अपराधों पर जमकर हो-हल्ला होने के बाद इस तरह के अपराधों में कमी आई है। परन्तु इस तरह की कोई जागरूकता पुरुषों के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों में नहीं दिखाई देती।