हाल ही में आरटीआई कार्यकर्ता भूपेन्द्र वीरा की हत्या के बाद ये बात तो साफ हो गई है कि देश में पारदर्शिता लाने की कोशिश करने वाले लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
नई दिल्ली। हाल ही में आरटीआई कार्यकर्ता भूपेन्द्र वीरा की हत्या के बाद ये बात तो साफ हो गई है कि देश में पारदर्शिता लाने की कोशिश करने वाले लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सूचना का अधिकार दिया गया था। अब ये सूचना का अधिकार ही लोगों की जान का दुश्मन बन गया है।
2005 से 2016 के बीच आरटीआई कार्यकर्ताओं का हुआ ये हाल
सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा जा रहा है। आरटीआई कार्यकर्ताओं की मौत का आंकड़ा देश में 56 तक पहुंच गया है। इस मामले में मानसिक उत्पीडऩ के मामले 311 तक पहुंच गए हैं। सीएचआरई नाम के एक दिल्ली बेस्ड एडवोकेसी ग्रुप की ओर से हुए सर्वे अनुसार 2005 में जब से आरटीआई लागू हुआ है तभी से लोगों को धमकाकर इस कानून का उपयोग करने से रोका जा रहा है।
आरटीआई कार्यकर्ताओं की मौतों में महाराष्ट्र बना नंबर 1
इस रिपोर्ट के अनुसार 2005 से 2016 के बीच आरटीआई का इस्तेमाल करने वाले 51 लोगों की हत्या हो गई वहीं 5 लोगों ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में महाराष्ट्र 10 हत्याओं और 2 सुसाइड केस के साथ सबसे ऊपर है। वहीं गुजरात में 8 मर्डर हुए और एक सुसाइड हुई है। यूपी में छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और एक व्यक्ति ने सुसाइड कर ली। वहीं इस समय 130 मामलों में हमलों और जान को खतरा पहुंचाने वाली रिपोर्ट दर्ज हुई है। आरटीआई करने वाले लोगों के उत्पीडऩ के मामले भी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है, यहां 29 ऐसी घटनाएं हुई हैं। वहीं गुजरात में 15, दिल्ली में 12, कनार्टक में 10, उड़ीसा और यूपी में 9-9 घटनाएं दर्ज की गई।
व्हिसलब्लोअर कानून अब तक लागू नहीं हुआ
इसके साथ ही फरवरी 2014 में लागू किया गया व्हिसलब्लोअर संरक्षण कानून को पारित कर दिया गया था। मगर इसे अभी तक अधिनियमित नहीं किया गया है। भाजपा सरकार ने संसद में कहा था कि वो इस कानून को संशोधन करने की योजना बना रही है। अभी तक इस कानून में होने वाले संशोधन स्पष्ट नहीं है। 28 अप्रेल को संसद में पीएमओ के राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया था कि व्हिसल ब्लोअर सरंक्षण संशोधन विधेयक एक समिति को भेजा गया था।
कार्यकर्ताओं ने लिखा देवेन्द्र फडणवीस को पत्र
सूचना के अधिकार में चलने वाले राष्ट्रीय अभियान ने वीरा की हत्या की जांच करने की मांग की है। इस एनजीओ ने महाराष्ट्र के सीमए देवेन्द्र फडणवीस को पत्र लिखा है। इस पत्र में लिखा गया है कि वीरा की आरटीआई एप्लीकेशन पर गौर किया जाए और इसके जवाब को पब्लिक डोमेन पर डाला जाए। रिपोर्टों के अनुसार मुंबई के माफिया और गुंडों के खिलाफ बहुत सी आरटीआई एप्लीकेशन डाली गई हैं।