script“सिख दंगों के दौरान कार्रवाई से पुलिस अधिकारियों को रोका गया” | Sikh riot - police officers were not taking action | Patrika News

“सिख दंगों के दौरान कार्रवाई से पुलिस अधिकारियों को रोका गया”

Published: Jul 05, 2015 10:21:00 pm

दिल्ली में कत्लेआम के खिलाफ सख्त कदम उठाने से शीर्ष पुलिस अधिकारियों को रोका गया था। एक नई किताब में यह दावा किया गया है।

Sikh riots

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नई दिल्ली । देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को हुई हत्या के बाद दिल्ली की सड़कों पर हुए कत्लेआम के खिलाफ सख्त कदम उठाने से शीर्ष पुलिस अधिकारियों को रोका गया था। एक नई किताब में यह दावा किया गया है।

किताब के मुताबिक, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मैक्सवेल परेरा ने सर्वाधिक नाटकीय ढंग से पुलिस कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने एक नवंबर की सुबह गुरूद्वारा शीशगंज के बाहर गोलीबारी के आदेश दिए थे। परेरा ने पत्रकार और लेखक संजय सूरी को किताब “1984- द एंटी सिख वायलेंस एंड आफ्टर (हार्पर कॉलिन्स)” में बताया है कि इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, लेकिन इसमें ऎतिहासिक गुरूद्वारे को बचा लिया गया था। लेकिन इस दौरान जो हुआ, उससे परेरा हिल गए। किताब का गुरूवार को विमोचन किया गया।

परेरा के मुताबिक, “घटना के बाद मैंने तुरंत नियंत्रण कक्ष को सूचित किया कि मैंने गोली चला दी है और एक व्यक्ति की मौत हो गई है। यह महत्वपूर्ण है इसलिए इसकी जानकारी होनी चाहिए। विशेष रूप से जब आपने गोली चलाई हो तो आपको नियंत्रण कक्ष को सूचित करने की जरूरत है। मुझे चिंता इस बात की थी मुझे नियंत्रण कक्ष से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

उस समय आमोद कंठ मध्य जिले के उपायुक्त थे। आमोद कंठ के मुताबिक, पुलिस मुख्यालय की ओर से इस हिंसा से निपटने के लिए कोई निर्देश नहीं थे। कंठ ने अपने जिले में सख्त आदेश दिए थे, जिसके लिए उनकी बाद में पुलिस मुख्यालय में निंदा हुई थी। उन्होंने किताब में कहा है, “यह बातचीत काफी स्पष्ट थी। मुझे बताया गया कि मेरा कदम काफी बचकाना था।

एक अन्य घटना में दिल्ली सशस्त्र बल के एक इंस्पेक्टर ने पूर्व दिल्ली के नंद नगरी में हमलावरों को डराने के लिए हवा में गोली चलाई थी। दिल्ली सशस्त्र पुलिस के उपायुक्त के हवाले से बताया गया है कि उस इंस्पेक्टर को यह बताया गया था कि इस तरह की कार्रवाई के लिए वह मुश्किल में पड़ जाएगा। देओल के मुताबिक, “इंस्पेक्टर ने 303 राइफल से चलाई गई तीन गोलियों की जगह अन्य गोलियां रखने में सफल रहे। वह यह दिखाना चाहते थे कि उन्होंने गोली नहीं चलाई। वह यह साबित करना चाहते थे कि उनकी सभी गोलियां ज्यों की त्यों हैं।”

सूरी ने अपनी किताब में कहा है कि राजीव गांधी ने 31 अक्टूबर की शाम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। सूरी का कहना है कि इस दिशा में उनका सबसे कड़ा निर्देश दो नवंबर की शाम 5.30 बजे आया, जब उन्होंने तत्कालीन उपराज्यपाल पी.जी.गवई को तलब कर कहा कि सभी हत्याएं 15 मिनट के अंदर बंद होनी चाहिए। इसके बाद सभी हत्या वारदातें लगभग बंद हो गईं। किताब में कहा गया है कि इस संबंध में राजीव गांधी भाषण देना चाहते थे, लेकिन दिल्ली के सिख उन्हें सुनना नहीं चाहते थे।
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