कश्मीर : मोबाइल फोन सेवा आतंकियों के निशाने पर
इससे पहले समूह ने पोस्टरों के जरिए मोबाइल फोन कारोबार में कार्यरत
लोगों को अपना कारोबार बंद नहीं करने पर उन्हें खामियाजा उठाने की चेतावनी दी थी
श्रीनगर। कश्मीर में आतंकियों ने पिछले तीन दिनों में मोबाइल फोन के कारोबार में लगे लोगों पर तीन घातक हमले किए हैं। ये हमले आतंककारियों द्वारा मोबाइल टावरों पर लगाए गए संचार उपकरणों को जब्त करने के बाद किए गए। उत्तरी कश्मीर में मोबाइल फोन कारोबार में कार्यरत लोगों पर यह हमला किया गया। इन हमलों में दो लोगों की मौत हो गई है, जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
पाट्टन कस्बे में भूमि मालिक इम्तियाज अहमद नाजरू (25) बुधवार को हुए इस आतंकी हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए। भूमि मालिकों ने स्थानीय अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों के जरिए कंपनियों से इन टावरों को तुरंत हटाने की मांग की। सोपोर कस्बे में गुरूवार को मोबाइल फोन टावरों ने सिग्नल देना बंद कर दिया।
पुलिस द्वारा सोपोर कस्बे में उच्च तकनीक युक्त संचार उपकरणों की बरामदी के बाद ये हमले किए गए हैं। ये उपकरण आतंककारियों के संचार नेटवर्क को सुधारने के लिए मोबाइल फोन टावरों पर लगाए गए थे।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने श्रीनगर में बताया, हमने उपकरणों को बरामद किया है। इन हमलों को अंजाम देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकी समूह लश्कर-ए-इस्लाम ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है।
इससे पहले समूह ने पोस्टरों के जरिए मोबाइल फोन कारोबार में कार्यरत लोगों को अपना कारोबार बंद नहीं करने पर उन्हें खामियाजा उठाने की चेतावनी दी थी। वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं- श्रीनगर में सैयद अली गिलानी और सैयद सलाउद्दीन व मुजफ्फरबाद में आतंकी समूह “जेहाद काउंसिल” के प्रमुख ने इन हमलों की निंदा की है और स्वयं को इन हमलों से अलग रखा है।
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ये हमले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा किए गए। शीर्ष खुफिया अधिकारी ने यहां कहा, हमारे पास पुख्ता जानकारी है कि मोबाइल फोन टावरों के भू स्वामियों और सिम कार्ड विक्रेताओं पर किए गए सभी हमले लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए हैं।
उत्तरी कश्मीर का आम आदमी चिंतित है कि यदि सभी मोबाइल फोन टावरों को बंद कर दिया गया तो उनके संचार संबंधी व्यवसायों का क्या होगा। सुरक्षा एजेंसियों की समस्या यह है कि उत्तरी कश्मीर के बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों में हजारों मोबाइल फोन टावरों के लिए सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करना बहुत पेचीदा है।
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