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व्यापमं घोटाला: दो आरोपियों की मौत, अब तक 42 से ज्यादा मरे

Published: Jun 29, 2015 10:20:00 am

इस घोटाले में 2500 लोग आरोपी है और 55 मामले दर्ज हैं, 42 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं

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भोपाल/इंदौर। व्यापमं महाघोटाले के आरोपियों की मौतों का सिलसिला जारी है। शनिवार देर रात घोटाले में गिरफ्तार किए गए वेटरनरी डॉक्टर नरेन्द्र तोमर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। अस्पताल पहुंचे जेलकर्मियों ने पर्ची में पेट दर्द की शिकायत लिखवाई, वहीं जेल प्रबंधन मौत का कारण हार्ट अटैक बता रहा है। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि मौत किस वजह से हुई?

मुरैना निवासी नरेन्द्र (30) पिता कैलाश तोमर को इंदौर एसटीएफ ने 15 फरवरी को गिरफ्तार किया था। कोर्ट में पेश करने के बाद तोमर को जिला जेल में भेजा गया था। वह यहां विचाराधीन कैदी था। जेल प्रबंधन का कहना है, शनिवार रात पौने 12 बजे सीने में दर्द की शिकायत के बाद उसे जेल के अस्पताल ले जाया गया। वहां से एमवाय अस्पताल रेफर किया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

दलाली में पकडे गए प्राध्यापक की मौत
वहीं फर्जी तरीके से पीएमटी करने और उसके बाद फर्जीवाडे में दलाली करने के आरोप में पकडे गए डॉ.राजेन्द्र आर्य की शनिवार को मौत हो गई। वे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में प्राध्यापक थे। राजेन्द्र को एसआईटी ने करीब डेढ़ साल पहले राउंडअप किया था। इन दिनों वे जमानत पर थे। परिजनों का आरोप है, जमानत मिलने के बाद भी एसआईटी और एसटीएफ उनकी तलाश में थी। इस वजह से वे डिप्रेशन में भी थे।

पीएमटी में गड़बड़ कराने का था आरोप
एसटीएफ ने अमर सिंह मेढ़ा नामक छात्र को पीएमटी पास करवाकर एमजीएम कॉलेज में एडमिशन दिलवाने के मामले में नरेन्द्र को गिरफ्तार किया था। दोनों की मुलाकात महू वेटरनरी कॉलेज में वर्ष 2006 की बैच के छात्र राजवीर सिंह मौर्य ने करवाई थी। नरेंद्र और राजवीर महू वेटरनरी कॉलेज में साथ थे। बाद में नरेंद्र फर्जीवाड़े करने वाले गिरोह से जुड़ गया था। व्यापमं घोटाले की मुख्य कड़ी नरेन्द्र जाटव के माध्यम से वर्ष 2009 में एडमिशन कराया गया था। अमर और राजवीर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था।

खुद हुआ पेश, मार्कशीट की कॉपी रखी
विक्रम के मुताबिक, महू के वेटरनरी कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के बाद नरेन्द्र देहरादून में रहा। गिरफ्तारी के वक्त वह भोपाल में रहकर रायसेन की गेरतगंज तहसील में पदस्थ था। 2014 से यहां वेटरिनरी विभाग के असिस्टेंट फील्ड ऑफिसर की डयूटी कर रहा था। विक्रम ने दावा कि नरेन्द्र ने इंदौर के संयोगितागंज एसटीएफ थाने में सरेंडर किया था। जांच दल ने छात्र अमरसिंह की मार्कशीट की फोटो कॉपी खुद भोपाल स्थित घर में रखी और दबाव बनाकर नरेन्द्र और मकान मालिक भीकमसिंह से साइन कराए।

घोटाले की फैक्ट फाइल
इस घोटाले में 2500 लोग आरोपी है और 55 मामले दर्ज हैं। अब तक 1980 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं और 500 की गिरफ्तारी बाकी है। इसके अलावा 42 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

STF खंगाल रही मौतों का रिकॉर्ड
व्यापमं घोटाले के आरोपियों की मौतों की जांच भी एसटीएफ कर सकती है। इसके लिए एसटीएफ ने संबंधित थानों से पूरा रिकॉर्ड तलब किया है। गौरतलब है कि घोटाले से जुड़े आरोपियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का सिलासिला जारी है। एसआईटी ने पिछले दिनों हाईकोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इन मौतों का जिक्र भी किया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच रिपोर्ट जुटाने का जिम्मा एसटीएफ को सौंपा है। उच्च न्यायालय ने एसआईटी से ये भी पूछा है कि क्या इन सभी मौतों की जांच दोबारा से एसटीएफ से करानी चाहिए।
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