कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर ब्लॉक में प्रस्तावित विद्युत ग्रिड परियोजना के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन मंगलवार को हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। शाम को पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुए संघर्ष में गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जबकि दूसरा घायल हो गया है। राजनीतिक हिंसा के अपने इतिहास के लिए कुख्यात भांगर पिछले सप्ताह राज्य सरकार द्वारा 16 एकड़ कृषि भूमि जबरन अधिग्रहित किए जाने के बाद से उबल रहा है। यह कृषि भूमि भांगर-2 ब्लॉक के खमरैत, माछी भांगा, टोना और पदमपुकुर गांवों में फैली हुई है। यह जमीन पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) के लिए अधिग्रहीत की गई है।
आक्रोशित प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ उस समय जमकर झड़प हुई, जब पुलिस ने पदमपुकुर गांव में घुसने की कोशिश की। कड़े प्रतिरोध के कारण पुलिस ने बल प्रयोग किया। घायल प्रदर्शनकारी को ग्रामीणों ने अपने कब्जे में ले लिया और बाद में उसे कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया।
संघर्ष की स्थिति तब पैदा हुई, जब मंगलवार अपराह्न त्वरित कार्रवाई बल की एक टुकड़ी के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल ने गांव में प्रवेश करने कोशिश की। इसके बाद पुलिस वाहनों पर चारों तरफ से पथराव शुरू हो गया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि ग्रामीणों ने पुलिस के एक वाहन को जला दिया, जबकि दो अन्य पुलिस वाहन को एक तालाब में धकेल दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया है कि भूमि मालिकों की सहमति के बगैर कोई भूमि अधिग्रहित नहीं की जाएगी, और जरूरत पड़ी तो भांगर में प्रस्तावित पॉवर ग्रिड अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाएगा। घटना के बाद बनर्जी ने ट्वीट किया, यदि लोग जमीन नहीं देना चाहते तो भूमि अधिग्रहण नहीं होगा। यदि जरूरत पड़ी तो प्रस्तावित पॉवर ग्रिड कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
इसके पहले पुलिस द्वारा सोमवार रात की गई कथित प्रताडऩा के विरोधस्वरूप लगभग 10000 ग्रामीण लाठी-डंडे के साथ जमा हो गए और उन्होंने गांव की ओर जाने वाले मार्ग को विभिन्न स्थानों पर पेड़ की शाखाएं गिराकर जाम कर दिया।
हथिराबंद ग्रामीणों ने निर्माणाधीन पॉवर ग्रिड के पास तैनात पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उन्हें गांव से चले जाने को कहा। उसके बाद पुलिस ने इलाके पर नियंत्रण करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शनकारियों ने त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) और पुलिस पर ग्रामीणों को आतंकित करने और रात के अंधेरे में उनके घरों में घुसने का भी आरोप लगाया।
माछीभांगा गांव के एक निवासी ने कहा, आरएएफ और पुलिस बेरहमी से हमें पीट रही है। वे हमें आतंकित करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में एकजुट प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि राज्य के विद्युत मंत्री सोवनदेब चटर्जी भांगर आएं और पॉवर ग्रिड परियोजना रद्द किए जाने की घोषणा करें।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, सरकार कह रही है कि हमारे गांव में पावर ग्रिड बनाने की योजना रद्द कर दी गई है, लेकिन निर्माण कार्य फिर क्यों जारी है? बिजली मंत्री को यहां आकर परियोजना रद्द किए जाने की घोषणा करनी होगी।
राज्य के बिजली मंत्री चटर्जी ने हालांकि मंगलवार अपराह्न कहा कि उन्होंने पावर ग्रिड का काम रोकने का आदेश दे दिया है और उन्होंने गांवों में बाहर के लोगों द्वारा हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
चटर्जी ने कहा, पावर ग्रिड का निर्माण कार्य फिलहाल रोक दिया गया है। लेकिन ग्रामीणों का एक गुट अभी भी प्रदर्शन कर रहा है। ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों का कोई और मकसद है। वहां बाहरी लोग और अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं, जो हिंसा भड़का रहे हैं।