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जब याकूब ने अपनी बेटी को अंतिम बार किया फोन

Published: Aug 02, 2015 03:48:00 pm

सूत्रों ने बताया कि बेटी की आवाज सुनते ही याकूब रो
पड़ा

Yakub Memon

Yakub Memon

नागपुर। 1993 मुंबई बम धमाकों में याकूब मेमन को फांसी देने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने देर रात 2.30 बजे आखिरी बार उसकी दया याचिका पर सुनवाई की हो, लेकिन नागपुर जेल के अधिकारियों ने सुबह 7 बजे उसे फांसी देने से पहले 21 वर्षीय बेटी जुबैदा से फोन पर बातकरवाकर उसकी अंतिम इच्छा पुरी की।

जेलकर्मियों ने जुबैदा का नंबर मिलाकर याकूब को फोन दे दिया। सूत्रों ने बताया कि बेटी की आवाज सुनते ही याकूब रो पड़ा। जुबैदा भी अपने आंसू नहीं रोक पाई। कुछ देर तक दोनों खामोश रहे। हालांकि, धैर्य रखते हुए याकूब ने बातचीत शुरू की।

याकूब ने कहा कि मैं तुमहारा निकाह होते हुए देखना चाहता था। लेकिन, मैं अब यह नहीं देख पाउंगा। मुझे माफ कर देना। मैंने ऎसा कुछ नहीं किया जिससे परिवार के नाम पर धब्बा लगे। फोन रखने से पहले याकूब ने कहा, मैं किसी भी गलत गतिविधियों में शामिल नहीं रहा। अपनी मां का ख्याल रखना।

सूत्रों के अनुसार, याकूब ने वसीयत भी छोड़ी है। इसमें सिर्फ जुबैदा का ही जिक्र है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि वसीयतनामा उसके भाई सुलेमान या पुलिस को सौंपा गया है। फांसी से पहले याकूब ने अपने सह अपराधियों से अगर कुछ गलत काम किया हो तो उसके लिए भी माफी मांगी।

पुलिस के अनुसार, उन्होंने याकूब को दूसरे अपराधियों से कहते हुए सुना कि उसे कोई उम्मीद नहीं है। उसने कहा, अब तो अल्लाह ही मालिक है। अंतिम समय में माहिम में अपने परिवार के साथ गुजारे हुए वक्त को याद करता रहा। साथ ही बताया कि किस तरह टाइगर मेमन की वजह से मुसीबत में पड़ा। अल्लाह उसे कभी माफ नहीं करेगा। काश वो मेरा भाई नहीं होता।
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