विधायक के गोद ग्राम और ओडीएफ विलेज पोंदूम की दो हजार आबादी को गांव के ही दूसरे पारा जाने के लिए 40 किमी की सफर तय करनी पड़ती है।
river crossing
पुष्पेंद्र सिंह/दंतेवाड़ा . विधायक के गोद ग्राम और ओडीएफ विलेज पोंदूम की दो हजार आबादी को गांव के ही दूसरे पारा जाने के लिए 40 किमी की सफर तय करनी पड़ती है।
यदि दूरी कम करनी है तो लबालब भरी डंकनी नदी को पार करने के लिए डेगची का सहारा लेना पड़ता है। नदी पार करते इसी बारिश में 9 जानें चली गई। जिसमें एक का शव ही मिल सका। बाकी ग्रामीणों के शव तेज बहाव में कहां बह गया पता नहीं चला। ग्रामीणों की बरसों से मांग व सर्वे के बाद भी नदी में पुल नहीं बन पाया। साल में कई बार विधायक से लेकर कलक्टर तक दौरा करने पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय से महज सात किमी दूर बसे पोंदूम गांव के बीच से डंकनी नदी बहती है। इस नदी में 12 महीने पानी रहता है। इसके चलते नदी पार के अलीकोंटा, हांदा खोदरा, गुटगुटपारा, बड़े पोंदूम पारा के रहने वाले 400 से लोगों का संपर्क दूसरे पारा में रहने वालों से नहीं हो पाता है।
नदी में पुल नहीं होने से लोग कटे रहते हैं। शादी-विवाह व त्यौहारों के साथ राशन लेने के लिए नदी पार करना मजबूरी है। ऐसे में उन्हें पीठ पर कपड़े की गठरी और पेट पर डेगची फंसा कर नदी पार करना पड़ता है। जब राशन लेना हो तो दाबपाल से ट्रेन पकड़कर ग्रामीण कांवडग़ांव पहुंचते हैं। यहां से ये अपनी पंचायत पोंदूम आते है और दूसरे दिन राशन लेकर फिर ट्रेन, बस और पैदल यात्रा कर गांव लौटते है।
बीमार था सुन्नू किसी तरह नदी को किया पार हांदाखोदरा के रहने वाले लखमू के पांच वर्षीय पुत्र तेज बुखार से पीडि़त था। हांदाखोदरा डंकनी नदी के उस पार है। ये पारा भी पोंदूम पंचायत में आता है। लखमू बताता है कि यहां के रहने वाले ग्रामीणों की ये गंभीर समस्या है। नदी पार करके अभी तो आ गए। बरसात में अपने ही पंचायत में आने के लिए रेल या बस का सहारा लेना पड़ता है।
ये सफर करीब 40 किमी का होता है। कई बार तो रात पोंदूम में ही काटनी पड़ती है। यदि पुल बन जाए तो दाबपाल महज दो किमी है। इसके लिए पोंदूम पंचायत के लोगों ने अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन इस समस्या को निराकरण पिछले एक दशक से नहीं हो सका।
गांव के लक्ष्मण पोयामी का कहना है कि यहां पहुंचने वाली विधायक देवती कर्मा से लेकर कलक्टर और अन्य अधिकारी,जनप्रतिनिधियों को पुल बनवाने कई बार आवेदन दिया है। लेकिन अब तक ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हुई। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। रिश्तेदारी निभाना भी मुश्किल हो गया है।इसी बरसात में 9 लोग नदी में बह गए।
गांव के मुखिया सुक्कूपोयामी ने बताया कि नदी में पुल बनाने के लिए अधिकारियों को दिए आवेदन पर दो साल पहले कार्रवाई होती नजर आई। कुछ अधिकारी सर्वे करने के लिए भी पहुंचे थे, लेकिन इसके बाद क्या हुआ, किसी को नहीं पता। चुनाव के समय सरपंच से लेकर विधायक व सांसद तक पुल बनाने का आश्वासन देते हैं।
पांच पंचायतों के दस हजार लोग प्रभावित बास्तानार, दाबपाल, कांवडग़ांव, बागमुंडी और कुंडेनार पंचायत में करीब दस हजार की आबादी है। यहां रहने वाले ग्रामीणों की आपस में रिश्तेदारी भी है। गांव वालों का कहना है कि यदि यह पुल बन जाता है तो पोंदूम ही नहीं पांच अन्य पंचायतों को भी लाभ मिलेगा। गांवों की दूरी कम होगी वहीं बच्चों को शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य और अन्य सुविधा पाने में सहूलियत होगी।