scriptOMG: जिस काम को सरकार 60 साल में नहीं कर पाई, उसे 10 साल के बच्चे ने कर दिखाया | Dantewada : Government did not do in 60 years, That do 10 year old child | Patrika News

OMG: जिस काम को सरकार 60 साल में नहीं कर पाई, उसे 10 साल के बच्चे ने कर दिखाया

locationदंतेवाड़ाPublished: Jul 16, 2017 12:58:00 pm

Submitted by:

ajay shrivastav

गड्ढे वाले रास्ते पर तीन बार गिरा तो मासूम छात्र ने उठाया फावड़ा घर पहुंच कर खाना भी नहीं खाया, शर्ट उतारकर और मां से कहा आज तो उसे ठीक कर के ही लौटूंगा…

student in work

student in work

दंतेवाड़ा . दक्षिण बस्तर में हालात बड़े दयनीय है। यहां न तो सड़क है और न ही व्यवस्था कोई प्रशासन कर सका। बात कर रहे हैं है पंचायत मरकानार की। निर्मल गागड़ा (10) इस सड़क से होकर कतियाररास पैदल स्कूल आता है। वह सड़क पर कई बार फिसल कर गिरा। उसको खुद का गिरना और उसके साथ आने वाले बच्चों को गिरना नागवार गुजर रहा था।

मां खाना खाने के लिए बोलती रही
वह रोज की तरह शनिवार को भी स्कूल गया हुआ था। स्कूल से वापस लौटा तो देखा गांव के लोग श्रमदान कर सड़क को बनाने में लगे हुए हैं। निर्मल घर दौड़ कर गया खाना भी नहीं खाया और सीधा काम में जुट गया। मां खाना खाने के लिए बोलती रही वह बोला मां सड़क बन रही है। इस सड़क पर हर रोज गिरता हूं ठीक करूंगा गंदे कपड़ों में स्कूल तो नहीं जाना पड़ेगा। ये बच्चा पूरी तल्लीनता से काम में जुट गया। खुद फावड़े से तगाड़ी को भरता और कच्ची सड़क के गड्ढों में मिट्टी डालने में जुट गया।

आरईएस के अधिकारी संतोष नाग को फोन लगाया

साथ में गांव के लोग भी जुटे हुए थे। ग्रामीणों का कहना था कई बार अधिकारियों से इस समस्या को लेकर आवेदन दिया लेकिन प्रशासन ने अनसुना कर दिया। नगर से महज पांच किमी दूर इस पंचायत का यह हाल है तो अंदरूनी क्षेत्रों में विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है। सड़क से संबंधित जानकारी के लिए आरईएस के अधिकारी संतोष नाग को फोन लगाया, लेकिन उनका फोन नहीं लगने से उनका पक्ष नहीं आ सका।

इसलिए सड़क को बना रहा हूं
निर्मल की मेहनत को देख पूछा गांव के लोग काम कर रहे है तुम्हे क्या जरूरत पड़ गई। उसका बड़ी मासूमियत से जवाब था, इस बरसात में वह फिसल कर तीन बार गिर चुका है। उसके साथ आने वाले बच्चे भी गिरे हैं। इसलिए सड़क को बना रहा हूं। पढ़ कर आया तो देखा सभी काम कर रहे हैं तो शर्ट को घर में फेंक कर आ गया। उसने कहा सड़क बनेगी तो फिसल कर नहीं गिरगें न ही कपड़े गंदे होगें। इसके बाद वह फिर से वही कुदाल और तगाड़ी पकड़ कर मिट्टी डालने में जुट गया।

महज डेढ़ किमी का है खराब सड़क
जिस सड़क का लोग श्रमदान कर बनाने में जुटे हुए थे वह महज डेढ़ किमी तक खराब है। इस सड़क पर करीब दो हजार की आबादी आश्रित है। यहां न माओवादी दहशत और न ही कोई अड़चन। इसके बाद भी प्रशासन इस सड़क को नहीं बना सका। तीन साल पहले ठेका हुआ था मरम्मत भर कराने के बाद ठेकेदार ने काम छोड़ दिया। हवाला हर बार माओवादी दहशत का बताया जाता है। सारा खेल अधिकारी व ठेकेदारों की मिलीभगत से हो जाता है। इसके बाद बड़ी रकम खर्च होती है।
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