(जेएनयू) में संसद पर हमले का दोषी अफजल गुरु और जेकेएलएफ के को फाउंडल मकबूल भट की याद में हो रहा था कार्यक्रम
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में मंगलवार को स्टूडेंट्स के दो गुट आमने-सामने हो गए। दरअसल एक ग्रुप संसद पर हमले का दोषी अफजल गुरु और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को फाउंडल मकबूल भट की याद में कार्यक्रम कर रहा था, जबकि दूसरे गुट से इनका विरोध किया। मामला बढ़ता देख कैंपस में पुलिस बुलानी पड़ी।
क्यों बढ़ा विवाद
कार्यक्रम आयोजन समिति ने इसकी इजाजत पहले से ही ले ली थी। कार्यक्रम शाम बजे साबरमती हॉस्टल के सामने होना था। हालांकि जब एबीवीपी को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने वीसी एम जगदीश कुमार के पास इसकी शिकायत की, जिसके बाद कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी गई। हालांकि अनुमति रद्द करने के बावजूद भी कार्यक्रम होने पर विवाद हो गया। मामला बढ़ता देख कैंपस में पुलिस को बुलाया गया। उधर, एबीवीपी ने बुधवार को कैंपस बंद का एलान किया।
प्रोग्राम को द कंट्री विदाउट ए पोस्ट ऑफिस का नाम दिया गया था। इसके पोस्टर पर लिखा गया था कि डेमोक्रेटिक राइट सेल्फ डिटरमिनेशन के लिए कश्मीरी लोगों के संघर्ष के साथ एकजुटता में। वहीं अन्य पोस्टर में लिखा था था कि अफजल और मकबूल की ज्यूडिशियल किलिंग के खिलाफ। वहीं वीसी ने कहा कि अफसरों ने बैठक के बाद इस बाद का फैसला लिया कि इवेंट को इजाजत नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि परिसर में शांति बनी रहे, जिसकी जिम्मेदारी मुझ पर है।
जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि लेफ्ट ऑर्गनाइजेशन फ्रीडम ऑफ ए एक्सप्रेशन और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने के अधिकार को छीनने के खिलाफ है, इसलिए हमने इस प्रोग्राम को सपोर्ट किया। उन्होंने कहा कि अंतिम समय में कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी गई थी, जिसकी जानकारी नहीं मिली थी। वहीं जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के ज्वाइंट सेक्रेटरी सौरभ कुमार शर्मा ने कहा कि परमिशन रद्द कर देने के बावजूद यह इवेंट हुआ। न केवल साबरमती हॉस्टल के बाहर प्रोटेस्ट हुआ बल्कि गंगा ढाबे तक मार्च भी निकाला गया।