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नई दिल्ली

मेडिकल प्रवेश के लिए ‘नीट’ एक मई और 24 जुलाई को

मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए अब नीट होगा। और वो भी इसी साल से। पहला चरण 1 मई को होगा और दूसरा 24 जुलाई को

नई दिल्लीApr 29, 2016 / 01:36 am

शंकर शर्मा

Delhi news

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नई दिल्ली. मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए अब नीट होगा। और वो भी इसी साल से। पहला चरण 1 मई को होगा और दूसरा 24 जुलाई को। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस फैसले पर मुहर लगाई। कोर्ट ने आदेश दिया कि एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी कोर्स में दाखिले के छात्रों को अब नीट ही देनी होगी। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए नीट का विरोध कर रहे राज्यों और निजी मेडिकल कॉलेजों की याचिका को खारिज कर दिया। और कहा कि अब यह आदेश सभी निजी और सरकारी कॉलेजों पर लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि एक मई को होने वाले ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट को ही नीट का पहला चरण समझा जाए। इस परीक्षा का दूसरा चरण 24 जुलाई को आयोजित किया जाए।


दोनों परीक्षाओं का परीणाम 17 अगस्त को जारी किया जाएगा। इसके बाद 30 सितंबर तक काउंसलिंग सेशन चलेंगे। जानकारी के अनुसार 1 मई को होने वाली परीक्षा में करीब 6.5 लाख विद्यार्थियों के बैठने की उम्मीद है।

अन्य परीक्षाएं होंगी रद्द
कोर्ट के इस आदेश के बाद मेडिकल में प्रवेश के लिए अगले माह होने वाली सभी अन्य परीक्षाएं रद्द की जाएंगी। कोर्ट ने आदेश देने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सीबीएसई की ओर से प्रस्तावित शेड्यूल भी मान लिया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सीबीएसई को परामर्श कर नीट के आयोजन के लिए शेड्यूल तैरूार करने को कहा था। जिसके बाद गुरुवार को कोर्ट में दो चरणों में परीक्षा करने का शेड्यूल दिया गया। जिसे कोर्ट ने मान लिया।

तो कैसे तैयारी करेंगे छात्र
नीट को लेकर तमिलनाडू सहित कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और केरल ने विरोध किया था। इनके सुर में सुर मिलाने वाले कुछ निजी मेडिकल कॉलेज भी थे। तमिलनाडु के वरिष्ठ अधिवक्ता एल नागेश्वर राव ने कहा कि तमिलनाडु में 2007 से कोई परीक्षा नहीं हो रही। 12वीं बोर्ड के आधार पर प्रवेश मिल रहा है। ऐसे में यदि विद्यार्थियों को नीट देना पड़ा तो छात्र इतने कम समय में तैयारी कैसे करेंगे। यह उनके लिए काफी बड़ी समस्या होगी। राज्यों और कुछ निजी कॉलेजों ने विरोध करते हुए यह भी कहा था कि नीट उन पर थोपा नहीं जा सकता है।

2013 में ही दिया था फैस्ला
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में 2013 में ही फैसला दे दिया था कि देश भर में मेडिकल एंट्रेंस के लिए एक ही परीक्षा का आयोजन किया जाए। लेकिन कई राज्यों ने इस बात का विरोध किया था। बाद में एक एनजीओ ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर नीट की मांग की थी।

अब क्या होगा
देशभर में मौजूद 600 से ज्यादा निजी मेडिकल कॉलेजों की बढ़ी मुश्किलें।
– अलग से एंट्रेंस टेस्ट नहीं ले पाने के कारण निजी कॉलेजों में डोनेशन सीट जैसा प्रचलन बंद होगा।
-योग्यता के आधार पर छात्रों का चयन होगा।
-प्रवेश प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार होने के रास्ते कम होंगे।
-निजी कॉलेजों की मनमानी पर रोक लगेगी।


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