समीर चौगांवकर
नई दिल्ली. विमुद्रीकरण के कारण सदन के दोनों सदनों में जारी घमासान के बीच नरेंद्र मोदी सरकार वस्तु एवं सेवा कर संबंधित विधेयक को चालू शीत सत्र में लाने की तैयारी में जुटी है।
सरकार की पूरी कोशिश जीएसटी को विमुद्रीकरण के असर से बचाते हुए सत्र में पास करवाने की है। वित्त मंत्री जेटली की अध्यक्षता में चली दो दिवसीय जीएसटी परिषद की पांचवी बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म होने के बाद भी सरकार इसको लेकर आशान्वित है। विमुद्रीकरण पर ममता बनर्जी के तीखे रुख के बाद कई विपक्षी पार्टियां और एनडीए के कुछ सहयोगी नए टैक्स सिस्टम पर आपत्ति दर्ज कराते हुए केंद्र सरकार से जीएसटी पर इंतजार करने का दबाव बना रहेे है।
विपक्षी दलों के साथ कुछ भाजपा के सहयोगी दलों का कहना है कि देश विमुद्रीकरण के बाद लगे झटके से अभी उबरा भी नहीं है कि ऐसे में जीएसटी को लाकर जनता पर दोहरी मार लगाना ठीक नहीं है। सूत्र बताते हैं कि विमुद्रीकरण पर सरकार से दो-दो हाथ कर रही ममता बनर्जी जीएसटी पर विपक्ष को साधकर सरकार को पटखनी देने की तैयारी में है। भाजपा के सहयोगी दलों ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि विमुद्रीकरण के कारण राज्य सरकारों के राजस्व का नुकसान हुआ है। ऐसे में जीएसटी को कुछ समय टालना चाहिए। सहयोगी दलों का तर्क है कि नई कर व्यवस्था से कारोबार पर दोहरी मार पड़ेगी, क्योकि नोटबंदी के कारण निकट भविष्य में कारोबार में गिरावट नजर आ रही है।
जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करने की कोशिश में जुटी केंद्र सरकार का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर पर प्रशासनिक अधिकार को लेकर बने मतभेद के कारण अगर 1 अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू नहीं हो पाता है तो उसका सीधा असर 2017-18 के बजट की कवायद पर पड़ेगा। इसका कारण यह है कि शुरूआती महीनों में उत्पाद व सेवा शुल्क से मिलने वाले राजस्व को शामिल करना होगा और उसके बाद के शेष महीनों के कर की गणना नए अप्रत्यक्ष कर के दौर के मुताबिक करना होगा।
जीएसटी परिषद की बैठक 11 और 12 को
जीएसटी परिषद की अगली बैठक 11 और 12 दिसंबर को होगी। उसके बाद संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने में सिर्फ तीन दिन बचेंगे। ऐसे मेें सरकार की कोशिश हर हाल में जीएसटी परिषद की बैठक में सहमति बनाने की होगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि संवैधानिक बाध्यता के चलते सरकार को इस पर आगे बढऩा जरूरी है।
अधिकारी का कहना है कि सरकार ने जीएसटी को 16 सितंबर को अधिसूचित किया था और संविधान संशोधन कहता है कि मौजूदा अप्रत्यक्ष कर प्रणाली एक साल तक चलेगी। उसके बाद जीएसटी अस्तित्व में आएगा। ऐेसे में यदि 16 सितंबर, 2017 तक जीएसटी नहीं होता है, तो देश में कराधान की कोई प्रणाली नहीं होगी और इस कारण सरकार की पूरी रणनीति जीएसटी को तय समय से लागू करने की कोशिश होगी।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राजस्थान पत्रिका से बात करते हुए कहा कि जीएसटी हमारी प्राथमिकता में है और सरकार इसे तय समय से लागू करेगी।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेन ओ ब्रायन ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में कहा कि जीएसटी तो दूर की बात है, पहले सरकार जीएसटी काउंसिल में गतिरोध तो खत्म करे। विमुद्रीकरण से देश की जनता को परेशान करने वाली मोदी सरकार जीएसटी लाकर क्या लोगों को प्रताडि़त करने का प्लान बना रही है।