देवरिया. जिले में शीतलहर शुरू हुए करीब दो सप्ताह होने जा रहा हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन ठंड को गंभीरता से नहीं ले रहा है। शासन ने आपदा के खाते में ठंड से निपटने के लिए साढ़े 27 लाख भेज दिया, इसमें 25 लाख कंबल तथा ढाई लाख अलाव के मद में आवंटित किया गया है, लेकिन धरातल पर इसका क्रियान्वयन नहीं दिख रहा है।
अलाव न जलने से लोग ठिठुर रहे हैं वहीँ स्कूलों में बच्चे कांपते हुए पहुंच रहे हैं। ठंड अब लोगों के लिए आफत बन गया है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी बेहाल हैं। सर्दीली हवाओं से बचाने के लिए अभिभावक पढ़ाई से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने लगे हैं। नतीजतन विद्यालयों में बच्चों की संख्या निरंतर घटने लगी है। सरकारी स्कूलों में समय-सारिणी तो बदल गया लेकिन इसका निजी विद्यालयों के संचालकों पर कोई असर नहीं दिख रहा है। तमाम बच्चे ठंड के चलते स्कूल जाना ही छोड़ दिए हैं।शुक्रवार को करीब एक बजे धूप निकली तो कुछ राहत मिली, लेकिन इसका असर दो घंटे तक दिखा और फिर गलन बढ़ने लगी। शाम होते-होते कोहरा छा गया। लोग घरों में दुबकने लगे। दुकानदार समय से पहले ही दुकान बंद कर घरों को चल दिए। बाजार में पूरी तरह सन्नाटा छा गया।
घने कोहरे के चलते आज भी अधिकांश ट्रेने विलंब से चलीं। स्टेशनों पर लोग ठंड से बेहाल रहे। ट्रेनों का इंतजार कर तमाम लोग घर को वापस हो लिए। ठंड का असर मजदूरों पर भी ज्यादा पड़ रहा है। नोट बंदी व ठंडी दोनों के एक साथ बरपे कहर से कइयों के घर तो चूल्हे भी समय से नहीं जल पा रहे हैं। गांवों में गरीब व असहाय लोग ठंड से निजात पाने के लिए प्रशासन के कंबल का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कहीं भी लेखा-जोखा नहीं है। यहां तक कि स्वयं सेवी संस्था की तरफ से भी कहीं कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिल रही है।