द्रव्यवती नदी सौन्दर्यीकरणः देर रात जेडीए में डटे रहे खातेदार व कनिष्ठ लेखाकार
Published: Jul 04, 2017 12:24:00 pm
ज्वानिंग की उम्मीद में आए कनिष्ठ लेखाकारों को भी बैरंग ही लौटना पड़ा
मुआवजे की मांग को लेकर पहुंचे द्रव्यवती नदी के प्रभावित किसान सोमवार को देर रात तक जेडीए में जेडीसी का इंतजार करते रहे वहीं ज्वानिंग की उम्मीद में आए कनिष्ठ लेखाकारों को भी बैरंग ही लौटना पड़ा। दोनों ही सोमवार देर रात तक जेडीए में डटे रहे, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। दोपहर में जेडीए से बाहर गए जेडीसी शाम तक वापिस लौटे ही नहीं, बल्कि उनकी गाड़ी खाली लौटी।
द्रव्यवती नदी के बहाव क्षेत्र से प्रभावित करीब 200 बीघा जमीन का मुआवजे की मांग लेकर पहुंचे। जेडीसी का इंतजार करते—करते आधी रात तक भी वहीं डटे रहे। इनमें 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग भी साथ रहे। जेडीसी को कई बार फोन मिलाया लेकिन नाकाम रहे। अतिरिक्त आयुक्त (प्रशासन) ओ.पी. बुनकर भी समाधान निकालने में फेल रहे। बताया जा रहा है कि 60 खातेदार—काश्तकार ऐसे हैं, जिनकी करीब दो सौ बीघा जमीन द्रव्यवती नदी से प्रभावित है।
यह है मामला
गोनेर के पास द्रव्यवती नदी के बहाव क्षेत्र में करीब 60 खातेदारों की 200 बीघा जमीन आ गई। इस जमीन का जेडीए ने आज तक मुआवजा नहीं दिया। काश्तकारों का कहना है कि जेडीए अधिकारियों ने डराकर जमीन को कब्जे में ले ली, लेकिन अब मुआवजा देने से मना कर रहे है। खातेदारों ने आरोप लगाया कि जेडीए अधिकारियों ने कुछ रसूखदारों की जमीनों को बचाने के लिए नदी के बहाव क्षेत्र के अलाइनमेंट में बार-बार
बदलाव किया।
हमने जमीन के संबंध में जेडीए ट्रिब्यूनल कोर्ट से भी स्टे ले रखा है, लेकिन उसके बाद भी जेडीए कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं कर रहा और मौके पर काम करवा रहा है। जेडीसी सुनने तक को तैयार नहीं है।
– अशोक मेहता, महामंत्री, द्रव्यवती नदी प्रभावित किसान संघर्ष समिति