धनबाद। झारखंड-बंगाल सीमा पर स्थित डीवीसी मैथन और पंचेत डैम के विस्थापितों ने सोमवार से भूख हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल में बच्चे, बूढ़े और महिलाएं समेत चार पीढ़ियाँ एक साथ अपनी मांगों को लेकर दामोदर नदी के किनारे अर्धनग्न सत्याग्रह कर रहे हैं।
सीमपाथर गांव में बेमियादी भूख हड़ताल शुरू कर दी गई है। आदिवासी घटवार महासभा के नेता रामाश्रय सिंह के नेतृत्व में आंदोलन पिछले कई वर्षों से चल रहा है। विस्थापितों का कहना है कि केन्द्र सरकार के आदेश के बावजूद सूबे की सरकार इनकी मदद नहीं कर रही है।
झारखंड के जिस 240 गांवों के लोगों की जमीन लेकर ये डैम बनाया गया था, उसमें से हजारों परिवार आज भी मुआवजा और
नियोजन के इंतेजार में हैं। जबकि मैथन और पंचेत डैम के निर्माण के लिए झारखंड और बंगाल के चार जिलों से करीब 38 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई।
जिससे 12 हजार परिवार विस्थापित हुए, जानकारी के अनुसार मात्र पांच सौ लोगों को डीवीसी ने रोजगार दिया गया। जबकि
वास्तविक रूप से सैकड़ों विस्थापितों को आज तक मुआवजा और नियोजन नहीं मिला। वहीं नौ हजार फर्जी नियुक्ति कर ली गई है। उसकी सीबीआई जांच की मांग आज तक पूरी नहीं की गई।
इसलिए अपनी मांगों के लेकर ये लोग कभी अनशन तो कभी अर्धनग्न जलसत्याग्रह करने को मजबूर हैं। पिछले 1 मार्च 2016
से क्रमबद्ध धरना प्रदर्शन के बाद भी अब तक डीवीसी और केन्द्र एवं राज्यों की सरकार ने इनकी फरियाद नहीं सुनी है।