ऐसे में धनबाद के खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय और अतंर्राष्टीय मानक का कोई भी स्टेडियम नहीं है।
धनबाद। प्रदेश ने देश को कई बड़े खिलाड़ी दिए हैं, फिर चाहे वह क्रिकेट में हो या फिर ओलंपिक में, या फिर हॉकी में, हर खेल का खिलाड़ी प्रदेश में हैं। फिर भी इन खिलाड़ियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। कोयलांचल धनबाद जिसे देश की कोयला राजधानी कहा जाता है, जहां से केन्द्र और राज्य को सबसे ज्यादा राजस्व जाता है। वहां मात्र 54 लाख रुपए के अभाव में पिछले 9 वर्षों से जिले का एक मात्र निर्माणाधीन स्टेडियम अधूरा पड़ा है।
झाड़ियों और कीचड़ से लबालब इसी स्टेडियम में आसपास के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर स्टेडियम स्थित है। जानकारी के अनुसार 34वां राष्ट्रीय खेल का आयोजन कराने के लिए वर्ष 2007 में भवन प्रमंडल द्वारा 4 करोड़ 82 लाख की लागत से इसका निर्माण शुरू किया गया।
2011 में आयोजित 34वां राष्ट्रीय खेल के दौरान इसका निर्माण पूरा तो नहीं हो सका, लेकिन इस बीच 2015 में इसकी लागत बढ़कर 6 करोड़ 92 लाख पहुंच गई। लेकिन अधूरे पड़े स्टेडियम का निर्माण कार्य पिछले 9 वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ।
असामाजिक तत्वों का अड्डा
नतीजा आस-पास के ग्रामीण खिलाड़ी झाड़ी और कीचड़ में अभ्यास करने को मजबूर हैं। पूरा स्टेडियम रख-रखाव के अभाव में पशुओं के चारागाह में तब्दील हो गया है। बता दें कि इस वक्त धनबाद में एक मात्र रणधीर वर्मा स्टेडियम है। लेकिन ये स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि सरकारी आयोजन के लिए है। ऐसे में धनबाद के खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय और अतंर्राष्टीय मानक का कोई भी स्टेडियम नहीं है।
दिलचस्प बात तो ये है कि भवन प्रमंडल विभाग के पास अभी भी स्टेडियम मद में करीब 3 करोड़ 35 लाख की राशि पड़ी हुई
है। कार्यपालक अभियंता मणि भूषण तिवारी के अनुसार और 54 लाख की राशि आवंटित नहीं होने के कारण स्टेडियम का टेंडर नहीं हो पा रहा है।