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कार्तिक पूर्णिमा: इस पूजा से मिलेगा सुख, समृद्धि, सौभाग्य का वर

Published: Nov 24, 2015 12:15:00 pm

कार्तिक पूर्णिमा का अपने आप में बहुत खास महत्व है, इस दिन को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य जैसे देवताओं का दिन माना गया है

kartik purnima festival puja

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संसार की रचना के समय से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन का अपने आप में बहुत खास महत्व है। हिंदू धर्म में इस तिथि को पवित्र मानने के पीछे एक कारण यह भी है कि इस दिन को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य जैसे देवताओं का दिन माना गया है। पुराणों और शास्त्रों की कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली राक्षस का संहार किया था इसी कारण इसका महत्व केवल वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं बल्कि शिव भक्तों के लिए भी है।

इस दिन श्रीसत्यनारायण की कथा सुनने का प्रचलन है और शाम के समय मंदिरों, चौराहों के साथ-साथ पीपल के वृक्ष, तुलसी के पौधे पर भी खास तौर पर दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन गंगा को भी दान अर्पण किया जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चारों पुरुषार्थों को देने वाला दिन माना गया है और स्वयं विष्णु ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के दिन सर्वगुण सम्पन्न महात्म्य के रूप में बताया है।

क्या करते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन

ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू करके प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। इस दिन भक्त स्नान, दान, हवन, यज्ञ और उपासना करते हैं ताकि उन्हें मन चाहे फल की प्राप्ति हो। इस दिन गंगास्नान और शाम के समय दीपदान करना भी बहुत शुभ माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भारी तादाद में गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भरणी नक्षत्र में गंगा स्नान व पूजन करने से सभी तरह के ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।



कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

साल में करीब 16 अमावस्या पड़ती हैं लेकिन साल की सबसे काली और लंबी अमावस्या की रात कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली के दिन मनाई जाती है और इसके 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा पड़ती है जो संसार में फैले अंधेरे का सर्वनाश करती है। लोगों में ऐसी आस्था है कि इस दिन ईश्वर की आराधना करने से मनुष्य के अंदर छिपी सभी तामसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है और इनकी समाप्ति के साथ ही मनुष्य देव स्वरूप प्राप्त कर सकता है। कार्तिक में पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में नदी, तालाब, कुण्ड, नहर में स्त्रान कर नियमपूर्वक भगवान की पूजा की जाती है। कलियुग में कार्तिक मास व्रत को मोक्ष का द्वार बताया गया है।

गंगा स्नान का महत्व

शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। ऐसा श्रद्धापूर्वक माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे साल गंगा मईया आप पर प्रसन्न रहती है। इस दिन न केवल गंगा बल्कि अन्य पवित्र नदियों के साथ-साथ तीर्थों में भी स्नान करने की प्रथा है यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरुक्षेत्र, अयोध्या, काशी में भी स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।



ऐसे करें पूजन

इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूरा दिन निराहार अर्थात बिना भोजन के रहा जाता है और भगवान विष्णु की आराधना करते हुए पूरे दिन भगवान का भजन करते हैं । इस दिन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वाले भक्त ब्राह्मण को भोजन भी कराते हैं, जिससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण को भोजन से पूर्व हवन भी कराया जाता है।


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