कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
साल में करीब 16 अमावस्या पड़ती हैं लेकिन साल की सबसे काली और लंबी अमावस्या की रात कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली के दिन मनाई जाती है और इसके 15 दिन बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा पड़ती है जो संसार में फैले अंधेरे का सर्वनाश करती है। लोगों में ऐसी आस्था है कि इस दिन ईश्वर की आराधना करने से मनुष्य के अंदर छिपी सभी तामसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है और इनकी समाप्ति के साथ ही मनुष्य देव स्वरूप प्राप्त कर सकता है। कार्तिक में पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में नदी, तालाब, कुण्ड, नहर में स्त्रान कर नियमपूर्वक भगवान की पूजा की जाती है। कलियुग में कार्तिक मास व्रत को मोक्ष का द्वार बताया गया है।
गंगा स्नान का महत्व
शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। ऐसा श्रद्धापूर्वक माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे साल गंगा मईया आप पर प्रसन्न रहती है। इस दिन न केवल गंगा बल्कि अन्य पवित्र नदियों के साथ-साथ तीर्थों में भी स्नान करने की प्रथा है यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरुक्षेत्र, अयोध्या, काशी में भी स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें पूजन
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूरा दिन निराहार अर्थात बिना भोजन के रहा जाता है और भगवान विष्णु की आराधना करते हुए पूरे दिन भगवान का भजन करते हैं । इस दिन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वाले भक्त ब्राह्मण को भोजन भी कराते हैं, जिससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण को भोजन से पूर्व हवन भी कराया जाता है।