आमतौर पर कुंडली में जब ग्रह राहु-केतु के बीच में आ जाते हैं। तो काल सर्प योग बनता है। काल सर्प योग के शुभ या अशुभ दोनों तरह के प्रभाव हो सकते है। यह कुंडली के सभी ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है और अन्य ग्रह भी अशुभ स्थिति में हैं तो व्यक्ति को मानसिक तनाव के साथ असफलता का सामना करना पड़ता है। काल सर्प योग के कारण संतान अवरोध, घर में रोज-रोज कलह, शारीरिक विकलांगता, मानसिक दुर्बलता, नौकरी में परेशानी आदि बनी रहती है। जाने अंजाने में इस दौरान अशुभ कामों के चलते इनके फल काफी कष्ट दायक हो जाते हैं। राहु के देवता काल (मृत्यु) हैं, इसलिए राहु की शांति के लिए कालसर्प शांति आवश्यक है। असल में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में विचरण करते हैं, तब उस योग को काल सर्प योग कहा जाता है। व्यक्ति के भाग्य का निर्माण करने में राहु और केतु का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
जानिए कालसर्प के अशुभ असर को दूर करने के उपाय…
1. हर शनिवार काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ता न मिले तो किसी दूसरे कुत्ते को भी रोटी खिला सकते हैं।
2. किसी भी अशुभ तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद शिव मंदिर में शिवलिंग पर तांबे का नाग चढ़ाएं।
3. बाजार में किसी भी सोने-चांदी के व्यापारी से चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा खरीदें और उस जोड़े को नदी में बहा दें। साथ ही, इष्टदेव से कालसर्प दोष का अशुभ असर दूर करने की प्रार्थना करें।
4. हर रोज शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ऊॅं नम : शिवाय मंत्री का जप करें। जप की संख्या कम से कम 108 होगी तो श्रेष्ठ रहेगा।
5. किसी गरीब व्यक्ति को कला कंबल, काली उड़द का दान करें। गरीब व्यक्ति का अनादर न करें और जरूरतमंद की मदद जरूर करें।
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