सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान बन रहे गुरू चांडाल योग से होने वाली किसी भी बड़ी आपदा को मेला प्रशासन बेहद गंभीरता से ले रहा है। इस योग के दुष्परिणामों की आशंका को देखते हुए मेला प्रशासन अब 11 ज्योतिषाचार्यो से सुझाव लेगी। इनसे चांडाल योग की प्रासंगिकता, आपदा को रोकने, पूजन-हवन या अन्य उपायों के बारे में जाना जाएगा। इनकी रिपोर्ट के बाद अन्य कदम उठाए जाएंगे।
सिंहस्थ के दौरान गुरू चांडाल योग को लेकर पिछले दिनों ज्योतिषाचार्य पंडित आनंदशंकर व्यास ने प्रशासन को पत्र लिखा था। इसके आधार पर सिंहस्थ मेला साधिकार समिति की बैठक में चर्चा की गई। संभागायुक्त डॉ. रवीन्द्र पस्तोर को योग के बारे में जानकारी देते हुए मेले के दौरान अनिष्ट होने के बारे में बताया। साथ ही कोई धार्मिक उपाय करने का मुद्दा भी उठा था। लिहाजा संभागायुक्त ने पूरे मसले पर 11 ज्योतिषाचार्यो के अभिमत लेकर इस योग के बारे में जानने के निर्देश दिए। ज्योतिषाचार्यो से पूछा जाएगा कि यह योग कितना फलीभूत होता है।
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गुरू चांडाल योग 2016 के कुंभ में गुरू व राहु योग के कारण गुरू चांडाल योग बन रहा है। यह योग देवासुर संग्राम, देवी तत्व तथा असामाजिक तत्वों में उग्र संघर्ष का सूचक माना गया है। इसस साधु संतों में असंतोष, भेदभाव उत्पन्न होता है। मंगल व शनि के योग रोग पीड़ा, दुर्घटनाओं का कारक माना गया है। इससे ग्रीष्म की तीव्रता विषाक्त, जंतु और प्राकृतिक विपदा को जन्म देता है।
ऎसा ही योग 95 वर्ष पहले (1921)
देवगुरू की पापग्रह शनि से युति व मंगल की दृष्टि बनी थी। उस समय भी हैजा जैसी बीमारी का प्रकोप हुआ था।
करोड़ों का खर्च गुरू चांडाल योग के प्रभाव को कम करने के लिए अतिरूद्रमहायज्ञ, लक्षचंडी यज्ञ व गणपति के सवा लाख जप से मंगल व शनि की शांति की जा सकती है, लेकिन इसमें बड़ा खर्च सामने आ रहा है। जो अनुष्ठान होगा उसमें 1331 पंडित बैठेंगे और दो महीने तक चलने वाले आयोजन में 5 से 7 करोड़ का खर्चा बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने इतना खर्च देखते हुए ज्योतिषाचार्यो से राय लेने का फैसला किया है।