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हाथ से खाना खाने से मिलती है खुशी

Published: May 26, 2015 11:28:00 am

विदेशों में लोग अब छुरी-कांटों को छोड़कर हाथों से खाना खाने को प्राथमिकता देने लगे हैं

eating with hand

eating with hand

हाथ से भोजन करने का अपना अलग ही आनंद है। अमरीका के मैनहट्टन में कुछ दिन पहले ऎसे कई लोग जुटे जो छुरी और कांटा छोड़कर हाथों से भोजन करने की इच्छा रखते थे। इनमें आम अमरीकी और कई नामवर हस्तियां भी शामिल थीं। दरअसल हाथ से खाना खाने को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। कई विद्वानों का मानना है कि हाथ से खाना खाने के लिए जब अंगुलियां और अंगूठे को मिलाया जाता है तो जो मुद्रा बनती है उसमें हमारे शरीर को स्वस्थ रखने की क्षमता है।

इसके अलावा यह भी माना जाता है कि हमारा शरीर जिन पंच महाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से बना है, वे सभी हमारे हाथ की पांचों अंगुलियों और अंगूठे में मौजूद हैं। इस तरह जब हम खाना खाते हैं तो कौर या बाइट बनाने के लिए इन सभी पंच महाभूतों को एकजुट करते हैं। इससे भोजन ऊर्जादायक बन जाता है और खाने में रस भी आता है।

कई तरह के लाभ

भारतीय मूल के अमरीकी पत्रकार अरूण वेणुगोपाल एवं भारतीय खानों की विशेषज्ञ मधुर जैफरी का मानना है कि भोजन पकाने की प्रक्रिया भी भावनात्मक विज्ञान पर आधारित है। भोजन तैयार करने, पकाने और परोसने की प्रक्रिया में पकाने व परोसने वाले का प्यार भी समाहित होता है जो अपना प्रभाव छोड़ता है। दुनिया के कई देशों में भी इस तरह के कई शोध हुए हैं जिनके अनुसार हाथों से खाना खाकर जो तृप्ति और आनंद मिलता है वह चम्मच या कांटों से नहीं। आयुर्वेद के अनुसार सीधे हाथों से भोजन का स्वाद लिया जाए तो यह ज्यादा पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्घक होता है। वैसे भी खिचड़ी, कड़ी-चावल, डोसा, हलवा, दाल-बाटी चूरमा आदि को खाने का असली आनंद हाथ से ही है।

माइंडफुल ईटिंग से लाभ
हाथ से खाना खाते हुए भोजन को मिलाने और खाने को मुंह तक ले जाने के लिए ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। इसे माइंडफुल ईटिंग भी कहते हैं। इसलिए यह चम्मच और कांटे से खाना खाने से ज्यादा लाभप्रद है। माइंडफुल ईटिंग के कई फायदे हैं लेकिन इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि इस तरह से खाने से भोजन के पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। जिससे पाचन क्रिया सुधरती है और आपको पेट संबंधी परेशानियां नहीं होतीं।

स्वाद ग्रंथियां होती हैं सक्रिय

1. नेचुरोपैथी विशेषज्ञ वैद्य भानुप्रकाश शर्मा के अनुसार हाथ से खाने के दौरान हम भोजन को सही तरह से मिक्स कर पाते हैं जिससे जो काम आंतों को करना होता है, पहले ही हाथ कर देते हैं। ऎसा होने से भोजन का पाचन ठीक से होता है और आंतों पर जोर न पड़ने से कब्ज, अपच या बदहजमी जैसी तकलीफें नहीं होतीं।

2. हाथ से खाने के दौरान जब आलती-पालती मारकर हम जमीन पर बैठते हैं तो यह सुखासन की मुद्रा बन जाती है जिससे भोजन को सीधे पेट के द्वारा आंतों तक पहुंचने में आसानी होती है और स्वाद ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं।

3. जब हम चम्मच से खाना खाते हैं तो यह पता नहीं चल पाता कि सब्जी या दाल कच्ची है या पक्की, ठंडी है या गर्म, लेकिन जब हाथ से खाना शुरू करते हैं तो छूते ही इसका अहसास हो जाता है। इन संकेतों के मिलते ही हमारा दिमाग, पेट को पाचक रस बनाने के लिए संकेत देने लग जाता है। पाचक रस यदि ठीक से बनते हैं तो खाना पूरी तरह से पच जाता है और पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है।
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