डिंडोरी। पुलिस कस्टडी में हुई सिधौली के युवक की मौत के मामले में मृतक के शव पर पुलिसिया क्रूरता के निशान मिले हैं। युवक को बेरहमी से मारपीट करने के जगह-जगह निशान हैं। मृतक का शव देखकर ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। शव लेकर जिला मुख्यालय आ रहे ग्रामीणों को जब पुलिस ने रास्ते में रोका तो ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन किया। मामले में मंडला बस स्टैंड पर भी लोगों ने चक्काजाम कर दिया। पुलिस क्रूरता का जिक्र करते हुए लोगों ने पुलिस को जमकर कोसा। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन ने पड़ोसी जिलों से भी पुलिस बल बुलाया और नगर सहित क्षेत्र में निगरानी रखी। वहीं मरहम लगाने के लिए जब जिला प्रशासन के अधिकारी मृतक के गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने अधिकारियों को घेर लिया। गांव के लोग अधिकारियों को वापिस नहीं आने दे रहे थे। देर शाम तक मामला शांत हुआ और युवक का दाह संस्कार किया गया।
बॉक्स…बीच रास्ते में हुआ टकराव
दूसरे दिन भी ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। जब ग्रामीणों ने युवक के शव को देखा तो पुलिसिया बर्बरता के निशान मिले। कटे-फटे शव को देखकर ग्रामीण आग बबूला हो गए। पूरा सिधौली गांव एक हो गया। ग्रामीण विरोध प्रदर्शन करने जिला मुख्यालय आने वाले थे। जैसे ही जिला प्रशासन को इसकी भनक लगी तो पूरा अमला सिधौंली गांव की तरफ रवाना हो गया। बीच रास्ते में ग्राम पड़रिया के पास पुलिस द्वारा ग्रामीणों को रोक दिया गया। यहां आईजी डीके आर्य, कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण नहीं माने मौके मौजूद गांव की महिलाओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यहां पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थिती निर्मित हो गई।
मंडला बस स्टैंड पर हुआ चक्काजाम
बीच रास्ते में ग्रामीणों को रोकने के बाद जिला मुख्यालय में भी लोगों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। मंडला बस स्टैंड पर लोगों ने जाम लगा दिया। यहां जमकर नारे बाजी हुई। टायर में आग लगाकर पुलिसिया बर्बरता का विरोध किया गया। जिला मुख्यालय में किसी प्रकार की अनहोनी न हो इसके लिए मंडला बस स्टैंड के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। लोग सुबह से लेकर दोपहर तक चक्काजाम करते रहे। महिलाएं पुलिस को कोसती रहीं।
दो दिनों में छूट गया पसीना
पुलिस कस्टडी में युवक की मौत के बाद जिला प्रशासन दो दिनों में पस्त पड़ गया। पहले दिन जहंा देर रात तक ग्रामीण नगर मुख्यालय में चक्काजाम किए रहे वहीं दूसरे दिन सुबह से ही एसपी सिमाला प्रसाद, कलेक्टर अमित तोमर, आईजी डीके आर्य हरकत में आ गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए उमरिया और मंडला से पुलिस फोर्स बुलाई गई। फार्स को नगर में जगह-जगह तैनात किया गया। ग्रामीणों के विरोध को मापने के लिए सिविल में पुलिस कर्मी गांव के आसपास बने रहे। मुखबिरों को सक्रीय कर दिया गया। समस्थ थाना-चौकी प्रभारियों और पुलिस कर्मचारियों को लगा दिया गया।
यह है मामला
दरअसल बर्ष 2013 में सिधौली निवासी रामसुजान श्याम का सिर कटा शव खेत में मिला था। मामले में पुलिस द्वारा ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया गया लेकिन पुलिस आरोपी तक नहीं पहुंच पाई थी। तमाम अधिकारी आए, पुरानी फाइल को निकाला गया, मृतक के परिजनों से पूछताछ हुई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस द्वारा बार-बार फाइल को बंद करने और खोलने के बाद ग्रामीणों को पुलिसिया कार्रवाई से गुजरना पड़ा। नवागत पुलिस कप्तान सिमाला प्रसाद ने बहुचर्चित सिर कटी लाश के मामले की फाइल खोलने का मन बनाया। इसके लिए बाकायदा एक जांच टीम भी बनाई गई थी। इसी टीम पर युवक के साथ बर्बरता करने के आरोप लगे हैं। पुलिसिया बर्बरता में युवक देवलाल की मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार को डीएसबी शाखा में पदस्थ कोई दुबे पुलिस कर्मी गांव के देवलाल पिता रामलाल बर्मन उम्र 22 बर्ष, रामलाल, प्रमोद श्याम, दिलीप उइके और विजय कोकोतवाली थाने ले गया था। युवकों को बेरहमी से मारा गया। मानवीय संवेदनाओं को झंगझोर देने वाले कृत्य किए गए। जब देवलाल की मौत हुई तो पुलिस अपनी गलती छिपाने के लिए देवलाल के शव को जबलपुर ले गई और मनगडंत कहानी बनाई गई।
पुलिस द्वारा दी गई थी यह दलील
पुलिस अधीक्षक सिमाला प्रसाद ने बताया कि सिर कटी लाश मिलने के मामले में युवकों से पूछताछ की जा रही थी। कुछ साक्ष्य भी पुलिस को मिले थे, देवलाल को लेकर उसके घर गई थी, जहां घर की खुदाई बगैरह की गई थी, लेकिन साक्ष्य नहीं मिले थे। जब पुलिस उसको वापिस पूछताछ के लिए लेकर आई तो वह घबरा गया था, तबियत बिगडऩे पर उसे जबलपुर भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि युवक का ब्लड प्रेशर लो हो गया था और अंदरूनी ब्लेडिंग से उसकी मौत हो गई।