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रोग और उपचार

बुखार होने पर पीएं गर्म सूप या जूस, जानिए और उपाय

मानसून के दिनों में जुकाम और फ्लू होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए सावधानी ही बचने का उपाय है

Aug 28, 2015 / 01:57 pm

दिव्या सिंघल

Seasonal fever

Seasonal fever

सर्दी-जुकाम और फ्लू श्वसन प्रणाली को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोग हैं। वायुजनित ये रोग सर्दी खांसी से फैलते हैं। सर्दी-जुकाम नाक व गले को प्रभावित करता है। वहीं फ्लू, फेफड़ों को। बुजुर्ग, बच्चे या जिनका रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है वे फ्लू के कारण अपनी जान तक गंवा देते हैं। ऎसे में सजगता और शीघ्र उपचार से ही इनसे बचा जा सकता है।

सामान्य लक्षण
सर्दी-जुकाम होते ही सबसे पहले बेचैनी होती है, जो खतरनाक नहीं है। इसके बाद गला-नाक बंद हो जाते हैं, सायनस में सूजन आ जाती है, नाक बहने लगती है, खांसी व सिरदर्द के साथ थकान होने लगती है। वयस्क लोगों को सर्दी हो तो आमतौर पर तापमान नहीं बढ़ता लेकिन बच्चों को सर्दी होते ही उनके शरीर का तापमान 102 डिग्री फ ारेनहाईट हो सकता है। सामान्यत: सर्दी-जुकाम 48 घंटे से 14 दिन में खुद ही नियंत्रित हो जाते हैं लेकिन यदि सावधानी न बरती जाए तो 10 दिन के बाद ये आपको फिर से परेशान कर सकते हैं।

ये हैं वजह
सर्दी-जुकाम व फ्लू का कारण वायरस है। मायो क्लिनिक के अनुसार 100 से ज्यादा किस्म के वायरस की वजह से सर्दी-जुकाम हो सकता है। इसी तरह फ्लू के भी कई वायरस हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौसमी इंफ्ल्यूएंजा का कारण है तीन कॉमन वायरस ए, बी और सी। इनमें से “ए” इंफ्ल्यूएंजा वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक है।

इन बातों का रखें ध्यान
साफ-सफाई का ध्यान रखें और हाथ बार-बार धोएं।
सर्दी-जुकाम से पीडित व्यक्ति से दूर रहें।
छींकते या खांसते समय रूमाल या कपड़े आदि का प्रयोग करें।
ठंडे पेय पदार्थो के सेवन से बचें।
बारिश में भीगकर बाहर से आने पर फौरन कूलर या एसी आदि न चलाएं।

ऎसे होती है परेशानी
सर्दी-जुकाम व फ्लू के प्रारंभिक लक्षण समान हैं। हालांकि इनमें थोड़ा फर्क है। फ्लू होने पर सिरदर्द होता है। कफ के साथ गला जाम हो जाता है। नाक तेजी से बहने लगती है। सर्दी-जुकाम के इन लक्षणों के अलावा फ्लू होने पर तेजी से अनायास शरीर का तापमान बढ़ता है। ठंड लगती है और मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होने लगता है।

उपचार
कई लोग सर्दी-जुकाम होने पर डॉक्टर के पास नहीं जाते और अपनी मर्जी से ही दवाएं लेते रहते हैं। इससे रोग ठीक होने की बजाय कई बार गंभीर भी हो जाता है इसलिए उपरोक्त लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं व निर्देशित टेस्ट जरूर करवाने चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
1. पर्याप्त पानी पिएं।
2. तले-भुने व मिर्च-मसाले वाले खाद्य पदार्थ से परहेज करें।
3. फाइबर युक्त पदार्थो (जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, मक्का व बाजरा) का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
4. हल्दी एंटीबायोटिक है इसलिए सब्जी में इसका प्रयोग जरूर करें।
5. घर का बना हल्का भोजन ही खाएं।
6. सब्जियों में घीया, तुरई, परवल, टिंडे और फलों में अनार, अंजीर का उपयोग अधिक करें।
7. मुनक्के खाने से भी लाभ होता है।
8. एक गिलास पानी में एक चम्मच चाय की पत्ती उबालकर छान लें। इसमें एक चुटकी नमक डालकर गरारे करने से टॉन्सिल्स में लाभ मिलता है।
9. अदरक का रस, तुलसी के पत्ते, शहद, कालीमिर्च, छोटी इलायची, बड़ी इलायची के प्रयोग से भी सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है।
10. टॉन्सिल्स होने पर मुलैठी चबाएं।
11. बुखार होने पर गर्म दूध, सूप या जूस पीना फायदेमंद होता है। लेकिन ध्यान रहे कि जूस घर में ही निकाला गया हो।
12. सर्दी-जुकाम और वायरल इंफेक्शन से बचने के लिए लहसुन, हर्बल टी, प्याज, अमरूद, टमाटर, पालक, अदरक, जीरा पाउडर, हींग, कालीमिर्च और धनिया इस्तेमाल क रें। इनसे पाचनशक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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