अनुसंधानकर्ताओं ने पहली बार प्राणघातक बीमारी मिडल ईस्ट रेस्पिारेटरी सिंड्रोम के संभावित उपचार की खोज कर ली है
न्यूयॉर्क। अनुसंधानकर्ताओं ने पहली बार प्राणघातक बीमारी मिडल ईस्ट रेस्पिारेटरी सिंड्रोम (मर्स) के संभावित उपचार की खोज कर ली है। वैज्ञानिकों ने इस नई उपचार प्रणाली के जरिए मर्स से संक्रमित चूहे के उपचार में सफलता हासिल की है। उल्लेखनीय है कि दक्षिण कोरिया में इस समय लगभग 180 लोग मर्स संक्रमण की चपेट में हैं, जिसमें से लगभग 30 लोगों की मौत हो चुकी है।
मैरीलैंड विश्वविद्यालय के औषधि विभाग (यूएमएसओएम) में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के सहायक प्रोफेसर एवं इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता मैथ्यू फ्रीमैन के मुताबिक यह काफी रोचक है और इसमें मर्स से संक्रमित मरीजों के उपचार में लाभकारी है। सऊदी अरब में तीन साल पहले मर्स का पहला मामला सामने आया था। उसके बाद से अब तक इस संक्रमण से पूरी दुनिया में 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस शोध में अनुसंधानकर्ताओं ने आरईजीएन3051 और आरईजीएन3048 दो एंटीबॉडी का पता लगाया है, जिनमें इस मर्स के विषाणु को निष्क्रिय करने की क्षमता है।
फ्रीमैन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि दोनों एंटीबॉडी पर नैदानिक शोध आगे जारी रहेंगे, ताकि मर्स से संक्रमित मनुष्यों के उपचार में इसकी क्षमता का पता लगाया जा सके। ऎसा अनुमान है कि यह बीमारी पहले चमगादड़ों से ऊंटों में फिर ऊंटों से मानवों में फैली। यह शोध “नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज” (पीएनएएस) पत्रिका के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है।