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रोग और उपचार

कान में दर्द होने पर ना डालें तेल

कान में फुंसी, मैल का फूलना, सूजन, गले, दांत व जबड़ों
की तकलीफ में कानदर्द हो सकता है

Mar 25, 2015 / 10:38 am

दिव्या सिंघल

कान में अचानक दर्द होना एक आम समस्या है। यह तकलीफ अमूमन बच्चों को होती है। इसमें बच्चा कानदर्द की वजह से रात को उठकर रोने लगता है और माता-पिता परेशान हो जाते हैं। आइए जानते हैं इसकी वजहों के बारे में-

कारण
ज्यादा दिनों तक सर्दी और जुकाम रहने से नाक के पिछले भाग से कान तक आने वाली यूस्टेकियन ट्यूब ठीक से काम करना बंद कर देती है जिससे संक्रमण और सूजन आ जाती है और द्रव्य बढ़ने से कान में दबाव असामान्य हो जाता है। बच्चों में यह ट्यूब छोटी और सीधी होने की वजह से नाजुक होती है इसलिए उन्हें कानदर्द ज्यादा होता है। दर्द से बच्चे की नींद खुल जाती है।

लक्षण
बुखार, चिड़चिड़ाहट, दस्त, उल्टी, सुनने में कमी व कान में भारीपन जैसे लक्षण होने लगते हैं। कान में फुंसी, मैल का फूलना, सूजन, गले, दांत व जबड़ों की तकलीफ में भी कानदर्द हो सकता है।

सावधानी
दर्द को नजरअंदाज करने से कान में दबाव बढ़कर पर्दे में छेद हो सकता है। अनदेखी से दिमाग व कान के पीछे की मेस्ट्रॉइड हड्डी प्रभावित होती है।

न पालें भ्रम
कई बार माता-पिता बच्चे की तकलीफ देखकर उसके कान में गर्म तेल की बूंदे डाल देते हैं जिससे कुछ समय के लिए आराम तो मिलता है लेकिन बाहरी संक्रमण का खतरा रहता है।

एहतियात बरतें
धूल और धुएं से बचें। खट्टी व फ्रिज की ठंडी चीजों से परहेज करें। छोटे बच्चों को केवल मां का दूध पिलाएं। साथ ही मां, बच्चे को लेटकर दूध न पिलाएं। फीड कराते समय बच्चे का सिर थोड़ा ऊंचा रखें। गंदगी व भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएं। रोग से ग्रस्त व्यक्ति स्वीमिंग और हवाई यात्रा न करें।

इलाज
दर्द निवारक, एंटीबायोटिक, एंटीएलर्जिक और एंटीकोल्ड दवाएं दी जाती हैं। नाक की यूस्टेकियन ट्यूब में सूजन को कम करने के लिए डीकंजेस्टेंट ड्रॉप देते हैं। बार-बार कान के पर्दे के पीछे द्रव्य जमा होने पर वेंटिलेशन ट्यूब (ग्रोमेट) से इलाज किया जाता है।

डॉ. शुभकाम आर्य, ईएनटी विशेषज्ञ, जयपुर

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