“प्रधानमंत्री मोदी से डायरेक्ट पहचान है, काम हो जाएगा…”
Published: May 28, 2015 10:04:00 am
पीएम मोदी से फटाफट काम कराने के लिए मिले इनसे, इनकी डायरेक्ट पहचान है और आपका काम तुरंत करवा देंगे
लोगों में कुछ ऎसी आदतें होती हैं, जिन्हें आम तौर पर हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन मनोचिकित्सकों की नजर में यह एक तरह का मेनिया (मेनिक डिप्रेसिव साइकोसिस) है। डॉक्टरों के मुताबिक, जयपुर के मनोचिकित्सा केन्द्र में आने वाले मेनिया पेशेंट्स की तादाद लगातार बढ़ रही है। इन मरीजों में 50 फीसदी मेनिया के शिकार होते हैं।
बढ़ रही हैं डींगे मारने वालों की संख्या
डॉक्टर्स का कहना है कि मेनिया की अवस्था में पेशेंट्स अत्यधिक खुश और उत्साहित रहते हैं। वे दिमाग में नई-नई योजनाएं बनाते हैं। विचारों की तीव्रता के चलते अलग-अलग तरह के नए-नए काम तो शुरू कर देते हैं, लेकिन किसी भी काम को पूरा नहीं कर पाते। मेनिया के पेशेंट को हमेशा यह भ्रम रहता है कि वह बहुत बड़ा व्यक्ति है, प्रभावशाली व्यक्ति से उसके संबंध हैं। ऎसे पेशेंट रंग-बिरंगी और नई ड्रेस पहनना पसंद करते हैं।
क्या है कैमिकल लोचा
पेशेंट्स के दिमाग में रासायनिक तत्व, जैसे- सिरोटोनिम और नोरेपीनेफ्रीन की असमानता होने से इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
(1) योगी पेशे से सीए हैं, वे अपने दोस्तों से बातचीत कर रहा थे, तभी कॉल आई। योगी ने रिसीव करते ही कहा, राजनीति में रूचि है, तो मुझे बोलो, राष्ट्रपति मेरे मित्र हैं, आपको मंत्री बनवा दूंगा।
(2) पेशे से जवाहरात व्यवसायी धीरेन्द्र बात-बात पर बड़ी-बड़ी डींगे हांकने लगते हैं। जब धीरेन्द्र को डॉक्टर के पास ले जाया गया, तो उन्होंने डॉक्टर से कहा, साहब प्रधानमंत्री से मेरी डायरेक्ट पहचान है। मेरे लायक कोई काम हो तो बताना।
(3) किराना व्यवसायी मनोहर ने जरूरत से ज्यादा अनाज खरीदा, बाद में उसे रिश्तेदारों और पूरे गांव में बांटना शुरू कर दिया।
कैसी-कैसी डींगे
– प्रधानमंत्री से मेरी डायरेक्ट पहचान है, काम हो जाएगा
– सलमान मेरा दोस्त है, अक्षय कुमार की पार्टी में व्यस्त था।
– भगवान से आजकल मेरी सीधी बात होती है।
– राष्ट्रपति मेरे दोस्त हैं, आपको मंत्री बनवा दूंगा।
– मैं यहां का कलक्टर हूं। आपका काम हो जाएगा।
– मैं जादू से दुनिया को तबाह कर सकता हूं।
क्या है इलाज
यह मेनिक डिप्रेसिव साइकोसिस की एक अवस्था है। इसमें पेशेंट उत्तेजित रहता है। कई बार खुद को भगवान का दर्जा देने से भी नहीं चूकता। इस रोग में मूड स्टेब्लाइजर के साथ-साथ ए ंटीसाइकोटिक और नींद की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
सीजनल डिसऑर्डर
इसे सीजनल डिसऑर्डर भी कहते हैं। मौसम का बदलाव मूड डिसऑर्डर की वजह है। पीनियल बॉडी से बनने वाला रसायन मेलोटोनिन इस रोग को बढ़ाता है। सर्दी में कुछ लोगों को डिप्रेशन की शिकायत होती है। बाद में डिप्रेशन खत्म होते-होते पेशेंट मेनिया का शिकार हो जाता है।
एसएमएस में 20-25 और मनोचिकित्सा केन्द्र में 50 प्रतिशत केस ऎसे आते हैं। यह उतार-चढ़ाव वाली बीमारी है। चढ़ाव की स्थिति में रोगी डींगें मारता है, जबकि उतार में उदासीभरी बातें करता है।
– डॉ. ललित बत्रा, प्रोफेसर, मनोचिकित्सा केन्द्र, एसएमएस
मेनिया ऎसा रोग है, जो शत-प्रतिशत ठीक हो जाता है। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के समान ही मूड स्टेब्लाइजर दवाओं का लगातार इस्तेमाल करना पड़ता है। पेशेंट के रिश्तेदारों को इस रोग के लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाती है।
– डॉ. आर.के. सोलंकी, मनोचिकित्सक
उन्माद और अवसाद की विभिन्न अवस्थाओं के प्रभावी उपचार में मनोचिकित्सा और परिवार चिकित्सा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
– डॉ. राकेश यादव, मनोरोग और नशा मुक्ति विशेषज्ञ