scriptखून से विषैले तत्त्वों की साफ करने में उपयोगी है हिजामा थैरेपी | Hijama therapy is useful in cleaning toxic elements in blood | Patrika News

खून से विषैले तत्त्वों की साफ करने में उपयोगी है हिजामा थैरेपी

Published: Dec 17, 2016 11:28:00 am

इसे अरबी में हिजामा, चीनी और अंग्रेजी में कपिंग, मिस्र में इलाज बिल कर्न व भारत में रक्त मोक्षण नाम से जाना जाता है

Hijama Therpy

Hijama Therpy

नई दिल्ली। ‘हिजामा’ थैरेपी (रक्त मोक्षण) हजारों वर्ष पुरानी यूनानी चिकित्सा पद्धति है। दुनिया के हर हिस्से में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसे पैगम्बर मोहम्मद साहब और आचार्य सुश्रुत ने भी माना है। इसे अरबी में हिजामा, चीनी और अंग्रेजी में कपिंग, मिस्र में इलाज बिल कर्न व भारत में रक्त मोक्षण नाम से जाना जाता है। इससे जुड़े चिकित्सक कम होने के कारण यह ज्यादा प्रचलित नहीं है। हाल ही ओलंपिक तैराक फेल्प्स ने यह थैरेपी ली है, जानें इसके बारे में-

कैसे काम करती है थैरेपी?
शरीर को निरोगी बनाए रखने का काम रक्त पर निर्भर है। रक्तसंचार शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखता है। यह थैरेपी रक्तसंचार के अवरोध को खत्म कर अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाती है। इस चिकित्सा के तहत रक्त में मौजूद विषैले पदार्थ, मृत कोशिकाओंं व अन्य दूषित तत्त्वों को बाहर निकालकर रोगों से बचाव किया जाता है। इससे नए खून का निर्माण होता है और कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। साथ ही मांसपेशियों व ऊत्तकों पर दबाव पडऩे से इनमें लचीलापन आता है और इसके कार्य में सुधार होता है। थैरेपी के दौरान सावधानी की जरूरत होती है इसलिए इसे विशेषज्ञ से ही करवाएं ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो।

हिजामा क्या है? 
‘हिजामा’ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है – ‘खींचकर बाहर निकालना यानी शरीर से दूषित रक्त को बाहर निकालना। कपिंग (हिजामा) ड्राई और वेट दो तरह की होती है।

क्या यह पद्धति मान्यता प्राप्त है?
हां, यह आयुष मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है। बीयूएमएस और बीएएमएस डिग्री प्राप्त चिकित्सक इसे करने के लिए पात्र हैं।

क्या यह जोखिम भरा इलाज है?
नहीं, यदि एक कुशल चिकित्सक करे तो इसमें कोई जोखिम नहीं है। यह लगभग बिना दर्द वाली पद्धति है जिसमें इंजेक्शन से भी कम दर्द महसूस होता है।

क्या इससे संक्रमण हो सकता है?
नहीं, इसमें प्रयोग होने वाले कप मेडिकेटेड व डिस्पोजेबल होते हैं। अत: हर रोगी में अलग व नए कप प्रयुक्त होते हैं, इससे इंफेक्शन नहीं होता। बचाव के लिए हिजामा के बाद त्वचा पर एंटीसेप्टिक क्रीम या लोशन भी लगाया जाता है।

किन रोगों में उपयोगी है?
सभी रोगों में यह फायदेमंद है। खासतौर पर हर प्रकार के दर्द में। सियाटिका, स्लिप डिस्क, सिरदर्द, चर्मरोग, स्पॉन्डिलाइटिस, किडनी, हृदय रोग, लकवा, मिर्गी, महिलाओं में इंफर्र्टिलिटी, माहवारी की समस्या, गर्भाशय व हार्मोनल विकार, अस्थमा, साइनुसाइटिस, मधुमेह, मोटापा, थायरॉइड की समस्या, पेट के रोग, चेहरे पर दाने व दाग-धब्बे और गंजेपन में यह थैरेपी कारगर है।

डॉ. अबरार मुल्तानी-हिजामा और आयुर्वेद विशेषज्ञ, भोपाल
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