कई बार बच्चे किसी भी एक्टिविटी को नहीं सीख पाते या उन्हें सीखने में समय लगता है, जिसे “लर्निग डिसऑर्डर” कहते हैं। ये परेशानी माता-पिता की चिंता का कारण बनने लगती है।
ऎसे में बच्चे को देरी से बोलना या चलना, न बोल पाना, पढ़ने-लिखने में परेशानी, जोड़-गुणा करने में दिक्कत, किसी भी प्रकार का नया काम सीखने में अरूचि, विभिन्न आवाजों को न पहचान पाना और पेंसिल पकड़ने तक में समस्याएं होने जैसे लक्षण होते हैं। इलाज के लिए बीमारी के लक्षणों को आधार मानकर होम्योपैथिक दवाएं दी जाती हैं जिससे मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होने लगता है।
प्रमुख दवाएंलर्निग डिसऑर्डर के उपचार के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर की देखरेख में मरीज को केल्केरिया कार्ब, कारसिनोसिन, साइलीशिया, सिफिलिनम, बेराइटा कार्ब और पिकरिक एसिड जैसी दवाएं दी जाती हैं। इस दौरान विशेषज्ञ बच्चे के स्वभाव और व्यवहार के अलावा अन्य लक्षणों का भी ध्यान रखते हैं।
डॉ. सविता माहेश्वरी, होम्योपैथी विशेषज्ञ
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