scriptदिमाग में संक्रमण व अधूरी नींद से बढ़ता मिर्गी का खतरा | Infection in mind and less sleep may increase risk of EPILEPSY | Patrika News

दिमाग में संक्रमण व अधूरी नींद से बढ़ता मिर्गी का खतरा

Published: Nov 12, 2016 11:54:00 am

अधूरी नींद की वजह से आपको मिर्गी जैसी खतरनाक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।  समय रहते इलाज न हो तो यह दिमाग पर बुरा असर डालता है। 

epilepsy patients

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नई दिल्ली। स्वस्थ शरीर के लिए नींद बहुत जरूरी होती है। नींद पूरी नहीं होने की वजह से हमारे शरीर में कई बीमारियां अपना घर बना लेती है। अधूरी नींद की वजह से आपको मिर्गी जैसी खतरनाक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। मिर्गी, एपिलेप्सी दिमाग व केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा रोग है। समय रहते इलाज न हो तो यह दिमाग पर बुरा असर डालता है। आइए जानते है कि मिर्गी की बीमारी और इलाज के बारे में

लक्षण : दौरा पडऩा, मांसपेशियों में ऐंठन
दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स का काम दिमाग से सूचना का आदान-प्रदान करना है। इनके ज्यादा सक्रिय होने पर मिर्गी की स्थिति बनती है। इससे पीडि़त का मस्तिष्क असामान्य विद्युत तरंगें पैदा करता है जिससे दौरे पडऩे, झटके महसूस होने व मांसपेशियों में तेज ऐंठन की शिकायत रहती है। ये दौरे 4-5 मिनट तक रह सकते हैं। ज्यादातर मरीजों में अचानक गिरकर छटपटाने, मुंह से झाग आने, दांत किटकिटाने, हाथ-पैर के नाखून व शरीर पीले पडऩे व एक ही जगह टकटकी लगाकर देखने जैसे लक्षण दिखते हैं। कुछ मरीजों में चंद घंटों की बेहाशी आती है।

फैमिली हिस्ट्री भी है एक कारण
कुछ मरीजों में इसका कारण अज्ञात है। विशेषज्ञों के अनुसार मरीजों में फैमिली हिस्ट्री, शराब की लत, गंदे पानी में उगी सब्जियों के जरिए पेट के कीड़ो के अंडों या तेज बुखार का दिमाग तक पहुंचना, जन्म के समय दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, अधूरी नींद, दिमागी चोट, मस्तिष्क में गांठ या संक्रमण इस रोग के कारण बन सकते हैं।

एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं से इलाज
रोग की पुष्टि के लिए एमआरआई व ईईजी (इलेक्ट्रो इंसेफेलोग्राम) जांच की जाती है। इस दौरान दिमाग में न्यूरॉन की स्थिति देखी जाती है। मिर्गी के रोगियों का एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं (एईडी) देकर इलाज किया जाता है। ये दवाएं लंबे समय तक लेनी पड़ती हैं। कई बार सर्जरी करके मस्तिष्क में रोग से प्रभावित भाग को हटा कर इलाज किया जाता है।

दौरा पडऩे पर
 रोगी की गर्दन के आसपास के कपड़ों को ढीला कर दें ताकि सांस लेने में रुकावट न हो।
 इस दौरान मरीज को न तो कुछ खिलाएं और ना ही मुंह में कोई वस्तु जैसे चम्मच, चाबी वगैरह रखें।
 मरीज को हल्के से करवट में लिटा दें और उसके सिर के नीचे कुछ कपड़ा आदि रख दें।
 दौरे के समय मरीज को जबरदस्ती पकड़कर न रखें।

ये सावधानी बरतें 
 रात को ज्यादा देर तक न जागें
 तले-भुने या तेज मिर्च मसाले वाले भोजन से परहेज करें।
 मांस, शराब, कड़क चाय, कॉफी से परहेज करें।
 अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर न जाएं।
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